प्रशासन ने इस ऐतिहासिक वृक्ष को बचाने के लिए सोमवार सुबह 10 बजे भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के नेतृत्व में जेसीबी, दो ट्रैक्टर और क्रेन की सहायता से कठिन आपरेशन शुरू किया और दोपहर साढ़े तीन बजे तक पेड़ को सफलतापूर्वक पुरानी अवस्था में ला दिया गया। पेड़ की जड़ों पर रूटिंग हार्मोन लगाया गया है ताकि नई जड़ें जल्द विकसित हो सकें।
पैथोलॉजी डिविजन के हेड डॉ. एनएसके हर्ष ने बताया कि पेड़ के तनों, टहनियों व जड़ों पर फफूंद नाशक दवा का छिड़काव किया गया है। साथ ही पेड़ को पर्याप्त मात्रा में खाद व पानी भी दिया गया ताकि वह पहले की तरह हरा-भरा रह सके।
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