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देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर ‘नो वर्क नो पे’ लागू कर दिया है। सरकारी आदेश के मुताबिक दो दिन अवकाश के बाद दस सितंबर को ड्यूटी पर उपस्थित नहीं होने वाले कार्मिकों को वेतन नहीं दिया जाएगा। यही नहीं उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जाएगी।
प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में सरकारी कर्मचारियों का एक तबका आंदोलन जारी रखे हुए है, जिन पर सरकार ने सख्ती बरतने का फैसला ले लिया है। प्रमुख सचिव (कार्मिक) डीके कोटिया ने आदेश जारी कर कहा कि प्रदेश में अब ‘नो वर्क नो पे’ के सिद्धांत पर अमल किया जाएगा। कार्य नहीं तो वेतन नहीं आदेश लागू होने के बाद अनुपस्थित कार्मिकों को वेतन नहीं दिया जाएगा। साथ ही सेवा में व्यवधान मानते हुए कर्मचारी आचरण नियमावली के प्रावधानों के अनुसार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण के विरोध और समर्थन में आंदोलनरत मान्यताप्राप्त कर्मचारी संगठनों ने गत छह सितंबर को हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया और इसकी सूचना संगठनों की ओर से शासन को दी गई। अधिकतर कार्यालयों में कर्मचारी सात सितंबर को काम पर वापस आ चुके हैं। लेकिन कुछ कर्मी अभी भी कार्य पर नहीं लौटे हैं और वे अन्य उपस्थित कर्मियों के कामकाज में भी बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
उधर, मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन ने विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक कर रिक्त पदों पर पदोन्नति शीघ्र शुरू करने के निर्देश दे दिए। साथ ही जरूरत के अनुसार एक्स कैडर पदों पर भी नियुक्तियां जल्द शुरू करने को कहा गया है। शुक्रवार को सचिवालय में सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों एवं प्रभारी सचिवों की बैठक में मुख्य सचिव ने यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शासनादेशों को नियंत्रणाधीन महकमों में जल्द अमल में लाया जाए। जिला स्तर पर विभागों में शासनादेश लागू करने को डीएम नियमित समीक्षा करेंगे। इस कड़ी में दस सितंबर को पीसीएस संवर्ग में रिक्त पदों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक होगी।