कश्मीर में पर्यटक विभाग का उच्च अधिकारी तलत परवेज ने मीडिया को बताया, ”हमने एक योजना बनाई है। हम हर उस व्यक्ति को दो लाख रुपये देंगे जो अपने घर का व्यावसायिक रुप से इस्तेमाल करने देगा। यह दो तरफा योजना है। इससे जहां पर्यटकों को जगह मिलेगी, वहीं गरीब लोगों को रोजगार का साधन भी मिलेगा।”
श्रीनगर में नाव चलाने वाले के पुत्र बिलाल लाथा ने इस स्कीम का फायदा उठाया है। उनके पिता ने रेशम में लिपटे अपने शिकारे को 40 साल तक डल झील पर चलाया है। अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर बिलाल कहते हैं, ”मेरे पिता ने मेरी पढ़ाई का खर्च उठाया, लेकिन मुझे नौकरी नहीं मिली। मेरे ख्याल से यह बहुत बढिय़ा मौका है। मैंने पर्यटकों की मेजबानी की है। मैं खुश हूं और अच्छे पैसे भी कमा रहा हूं।”
रिकार्ड पर्यटक उमड़े
अधिकारियों का कहना है कि अभी तक पांच लाख से अधिक पर्यटक यहां पहुंच चुके हैं, जिसमें 20 हजार पश्चिम देशों से है। यह एक रिकार्ड है। अलगाववादियों के आंदोलन के चलते वर्ष 2008 से 2010 तक कश्मीर तीन साल तक पर्यटकों की पहुंच से लगभग बाहर ही था। वर्ष 1989 में हिंसा भड़कने के बाद यूरोपीय देशों ने अपने नागरिकों को कश्मीर न जाने की सलाह दी थी।
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