Advertising

कश्मीर में लोगों के घरों में रखना पड़ रहा पर्यटकों को

श्रीनगर। ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन में कश्मीर घाटी में पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ आने से प्रशासन को उन्हें ठहराने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाने पड़ रहे हैं। घाटी में अभी तक पांच लाख पर्यटक दस्तक दे चुके हैं। अधिकारियों को उनकी व्यवस्था करने के लिए आम लोगों के घरों में जगह खरीदनी पड़ रही है। पिछले सप्ताह तो स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि कई पर्यटकों को कहीं भी रहने की जगह न मिलने के कारण अपनी कारों में ही रात गुजारनी पड़ी।

Advertisement
 अधिकारियों का कहना है कि इन गर्मियों और पतझड़ में 20 लाख पर्यटकों के कश्मीर घाटी में आने की संभावना है, जिसमें अधिकतर भारतीय होंगे। पर्यटकों की संख्या में इस अप्रत्याशित तेजी के सामने यहां की 50,000 बैड की क्षमता बहुत कम है।


कश्मीर में पर्यटक विभाग का उच्च अधिकारी तलत परवेज ने मीडिया को बताया, ”हमने एक योजना बनाई है। हम हर उस व्यक्ति को दो लाख रुपये देंगे जो अपने घर का व्यावसायिक रुप से इस्तेमाल करने देगा। यह दो तरफा योजना है। इससे जहां पर्यटकों को जगह मिलेगी, वहीं गरीब लोगों को रोजगार का साधन भी मिलेगा।”

श्रीनगर में नाव चलाने वाले के पुत्र बिलाल लाथा ने इस स्कीम का फायदा उठाया है। उनके पिता ने रेशम में लिपटे अपने शिकारे को 40 साल तक डल झील पर चलाया है। अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर बिलाल कहते हैं, ”मेरे पिता ने मेरी पढ़ाई का खर्च उठाया, लेकिन मुझे नौकरी नहीं मिली। मेरे ख्याल से यह बहुत बढिय़ा मौका है। मैंने पर्यटकों की मेजबानी की है। मैं खुश हूं और अच्छे पैसे भी कमा रहा हूं।”

Advertisement

मेजबान और मेहमान
श्रीनगर की तंग गली में बिलाल के दो मंजिला घर का एक भाग गेस्टहाउस की तरह इस्तेमाल होता है। अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बिलाल के बेनाम लॉज पर रहने वाले रजत गुप्ता यहां की मेजबानी और आराम की तारीफ करते हैं। वे कहते हैं, ”हम घर पर महसूस करते हैं। वे हमसे बात भी करते हैं। यह मेहमान और मेजबान की तरह है, ग्राहक और होटल के मालिक की तरह नहीं।”
कश्मीर होटल और रेस्तरां मालिक संघ के अनुसार कश्मीर में सुविधाओं की कमी है। संघ के प्रमुख मंजूर सिद्दीक कहते हैं, ”हमारी क्षमता केवल 50,000 बैड की है। सरकार होटल मालिकों को कर्ज देने से इंकार कर रही है अन्यथा हम अपनी क्षमता को दोगुणा कर सकते हैं।”

रिकार्ड पर्यटक उमड़े
अधिकारियों का कहना है कि अभी तक पांच लाख से अधिक पर्यटक यहां पहुंच चुके हैं, जिसमें 20 हजार पश्चिम देशों से है। यह एक रिकार्ड है। अलगाववादियों के आंदोलन के चलते वर्ष 2008 से 2010 तक कश्मीर तीन साल तक पर्यटकों की पहुंच से लगभग बाहर ही था। वर्ष 1989 में हिंसा भड़कने के बाद यूरोपीय देशों ने अपने नागरिकों को कश्मीर न जाने की सलाह दी थी।

Advertisement
हिम न्यूज़पोस्ट.कॉम

Recent Posts

पं नेहरू के प्रति मेरे मन में पूरा सम्मानः शांता कुमार

धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More

6 months ago

मणिकर्ण में आग लगने से दो मंजिला मकान जलकर राख

कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More

6 months ago

फासीवाद बनाम प्रगतिशील

फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More

6 months ago

वाईब्रेंट विलेज नमग्या पहुंचे राज्यपाल, स्थानीय संस्कृति एवं आतिथ्य की सराहना की

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More

8 months ago

दुग्ध उत्पादकों के लिए जुमलेबाज ही साबित हुई सुक्खू सरकार

रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More

11 months ago

खुलासाः मानव भारती विवि ने ही बनाई थीं हजारों फर्जी डिग्रियां

शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More

11 months ago
Advertisement