शिमला। जयराम ठाकुर सरकार ने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शीतकालीन सत्र को लेकर भी फैसला ले लिया। नई सरकार का शीतकालीन सत्र 9 से 12 जनवरी तक धर्मशाला (तपोवन) में होगा।
मंत्रिमंडल ने यह भी फैसला लिया कि चुनावी घोषणापत्र को पॉलिसी डॉक्यूमेंट के रूप में अपनाया जाएगा और पिछली सरकार के 6 माह में लिए गए फैसलों की समीक्षा की जाएगी।
विभिन्न बोर्डों और निगमों के नोमिनेटिड चेयरमैन, वाइस चेयरमैन व सदस्यों को तत्काल प्रभाव से हटाने का भी फैसला ले लिया गया। HPPSC और SSC के बाहर हुई रिक्रूटमेंट को होल्ड कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त वृद्धों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन की आयु 80 से घटाकर 70 वर्ष कर दी गई है।
भारद्वाज को शिक्षा, गोबिंद को बागवानीः मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कुछ मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कर दिया है। सुरेश भारद्वाज (शिमला) को शिक्षा, अनिल शर्मा(मंडी सदर) को ऊर्जा, महेंद्र सिंह (धर्मपुर) को सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य, विपिन परमार (सुलह) स्वास्थ्य और गोबिंद ठाकुर(मनाली) को बागवानी और खेल एवं युवा सेवाएं विभाग दिए गए हैं। शीघ्र ही कुछ और मंत्रियों के विभागों की घोषणा भी कर दी जाएगी।
नाहन से चुनकर आए पूर्व मंत्री राजीव बिंदल को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है। शपथ ग्रहण समारोह में विशेष रूप से पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आदि के साथ मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों ने सामुहिक फोटो भी खिंचवाईं।
मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने के नाराजगीः पूर्व मंत्री रमेश ध्वाला (ज्वालामुखी), पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा (कोटखाई) और भटियात से चुन कर आए विक्रम सिंह जरयाल को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने के कारण उनके समर्थकों में भारी नाराजगी भी देखने में आई।
विक्रम सिंह जरयाल के समर्थकों ने तो रोष में शपथ ग्रहण समारोह स्थल में नारेबाजी भी की और उनकी पुलिस से हल्की झड़प भी हुई। वास्तव में कुछ न्यूज चैनलों ने विक्रम सिंह जरयाल को भी नए मंत्रिमंडल में शामिल बता दिया था। लेकिन बाद में पता चला कि वास्तव में मंत्री बनाए गए विक्रम सिंह जसवां परागपुर के विधायक हैं।
जुब्बल- कोटखाई से बीजेपी विधायक एवं पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटाके समर्थक कार्यकर्ताओं ने पूर्व सीएम प्रो. प्रेम कुमार धूमल के निवास पर पहुंचकर अपनी नाराजगी जताई। मंडल के कुछ पदाधिकारियों ने तो सामुहिक त्यागपत्र तक की धमकी दी और कहा कि 2019 के संसदीय चुनाव में इसके गंभीर परिणाम निकलेंगे। प्रो. धूमल ने नाराज कार्यकर्ताओं को शांत किया और आश्वासन दिया उनकी भावनाओं को हाईकमान तक पहुंचाया जाएगा।