केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के तीन में से दो काल बहुत निकट से देखे हैं। मैं ज्योतिषी नहीं,
बहरहाल, बात नड्डा के भूतकाल की…एक छोटे से गांव से पत्रकारिता करने जब शिमला पहुंचा तो यहां कुल 14 श्रमजीवि पत्रकार थे, पन्द्रहवां मैं हुआ। तब यूनिवर्सिटी की ख़बरों को अखबारों में तव्वजो नहीं दी जाती थी। मैंने शुरुआत यहीं से की। यूनिवर्सिटी में मेरे पहले मित्र SFI के कश्मीर सिंह ठाकुर बने, फिर ABVP के जेपी नड्डा, AISF के अजीत कुमार और कुछ बाद में NSUI के कुलदीप राठौर से दोस्ती हुई। ये सभी सक्रिय छात्र नेता थे और इन्हें मेरी जरुरत इसलिए रहती, क्योंकि मेरा अखबार हिमाचल में नंबर वन था। कश्मीर सिंह और नड्डा से मेरी प्रगाढ़ मित्रता हो गई, लेकिन लेखन में दोस्ती कभी आड़े नहीं आई। जो सत्य दिखा, वही लिखा।
जहां तक नड्डा का प्रश्न है, उन्होंने कठिन संघर्ष कर यूनिवर्सिटी में मजबूत संगठन खड़ा किया। उनका संघर्ष काफी लंबा रहा। राजनीति में आने के बाद भी संघर्ष जारी रहा। यदि मैं गलत नहीं तो बाद में कंदरौर आंदोलन ने ही उन्हें राजनीति में स्थापित करने में अहम् योगदान दिया। विधायक बने, मंत्री भी बने। तब के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ राजनीतिक पटड़ी न बैठ सकी तो सबकुछ छोड़छाड़ कर दिल्ली हो लिए। आज भाजपा के भावी भविष्य के रूप में उन्हें देखा जाने लगा है। यह रहा उनका वर्तमान काल!
भविष्यकाल भी सुनहरा ही लग रहा है, लेकिन इस बारे में कोई भविष्यवाणी करना ठीक नहीं रहेगा। सोशल मीडिया फेसबुक में इस विश्लेषण को संतोष कुमार शर्मा ने इस प्रकार आगे बढ़ायाः
Santosh Kumar Sharma- ना ना करते भी भाई साहेब आपने भविष्यवाणी तो कर ही दी और वो भी काफी हद तक सटीक….। कम से कम आज की परिस्थितियों में हम अनुमान लगायें तो आपका विश्लेषण और निष्कर्ष एकदम सही लग रहा है। नड्डा जी अपेक्षाकृत युवा हैं, ऊर्जावान, सक्षम, मेहनती और मिलनसार भी हैं। इसके अलावा उनका हिमाचल प्रदेश के मध्य-क्षेत्र से सम्बन्ध रखना भी अतिरिक्त योग्यता है। आम जनता भी भाजपा में उन पूर्वी और पश्चिमी ध्रुवों के नेतागणों से अलग कोई ऊर्जावान युवा नेतृत्व की तलाश में है, जो मध्य क्षेत्र से उभर कर आये।