नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद पर हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया है। बावरी मस्जिद के गुंबद की जगह हिंदू पक्ष को दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अलग उपयुक्त स्थान पर पांच एकड़ भूमि अलॉट की जाए।
पांच जजों की इस पीठ ने 40 दिनों की सुनवाई के बाद सर्व सम्मति से यह फैसला सुनाया है। अदालत ने तीसरे पक्ष निर्मोही अखाड़े के बारे में कहा कि सरकार तीन महीने के भीतर जो ट्रस्ट बनाएगी, उसमें निर्मोही अखाड़ा होगा या नहीं यह सरकार को तय करेगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर अयोध्या पर एक कार्ययोजना तैयार करने का कहा है।
जस्टिस रंजन गगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के सभी उच्च अधिकारियों के साथ बैठक कर सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया था। उसके बाद घोषणा की कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच लंबे अरसे से चले इस विवाद का वो शनिवार को फैसला सुना देंगे।
सरकार ने पूरे देश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर रखे हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में धारा 144 लगाई गई है। अफवाहगीरों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। उत्तर प्रदेश कर्नाटक, मध्य प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में स्कूलों- कॉलेजों में छुट्टियां कर दी गई।
कांग्रेस ने किया फैसले का स्वागतः अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण की पक्षधर है।
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की प्रतिक्रियाः सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब ज़िलानी ने फ़ैसले के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा, ”हम फ़ैसले पर अभी मश्विरा करेंगे और बाद में तय करेंगे कि इसकी समीक्षा के लिए याचिका दायर करेंगे या नहीं। इस फ़ैसले का आदर करना चाहिए। हमें इसके ख़िलाफ़ कोई प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।” उहोंने यह भी कहा, “मस्जिद हम किसी को दे नहीं सकते। यह हमारी शरियत में नहीं है। लेकिन कोर्ट का फ़ैसला मानेंगे।”
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सहज होकर स्वीकार करना चाहिए। दोनों समुदायों को एक- दूसरे के प्रति उत्तेजक टिप्पणियां करने से बचा चाहिए।
केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने फ़ैसले पर कहा, ”सभी को सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला मानना चाहिए और शांति कायम रखनी चाहिए।”
जस्टिस रंजन गोगोई ने फ़ैसला सुनाते हुए कहाः “अंदर के चबूतरे पर कब्ज़े को लेकर गंभीर विवाद रहा है। 1528 से 1556 के बीच मुसलमानों ने वहां नमाज़ पढ़े जाने का कोई सबूत पेश नहीं किया।
बाहरी चबूतरे पर मुसलमानों का क़ब्ज़ा कभी नहीं रहा। 6 दिसंबर की घटना से यथास्थिति टूट गई। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड इस स्थान के इस्तेमाल का सबूत नहीं दे पाया। बाहरी चबूतरे पर हमेशा से हिन्दुओं का क़ब्ज़ा रहा। ऐतिहासिक यात्रा वृतांतों को भी ध्यान में रखा गया है।ऐतिहासिक यात्रा वृतांत बताते हैं कि सदियों से मान्यता रही है कि अयोध्या ही राम का जन्मस्थान है।
हिन्दुओं की इस आस्था को लेकर कोई विवाद नहीं है। आस्था उसे मानने वाले व्यक्ति की निजी भावना है। मस्जिद मीर बाक़ी ने बनाई थी, अदालत के लिए धर्मशास्त्र के क्षेत्र में दख़ल देना अनुचित होगा।”