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प्रो. प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्री रहते महेश्वर सिंह का भाजपा में खूब मानमर्दन हुआ। कुल्लू जिले में खिमीराम उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरे, जिन्होंने महेश्वर सिंह को कभी चैन से नहीं बैठने दिया। सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर उनके कारोबार को भी नुकसान पहुंचाया गया। खिमीराम को मुख्यमंत्री धूमल का वरदहस्त प्राप्त था, इसलिए महेश्वर सिंह चुपचाप सहने को मजबूर थे। लेकिन जैसे ही सरकार का अंतिम वर्ष यानी चुनावी वर्ष आया, उन्होंने बगावत कर दी।
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कुल्लू। हिलोपा सुप्रीमो महेश्वर सिंह अंततः समर्थकों सहित भाजपा में लौट आए। रविवार को कुल्लू का ऐतिहासिक ढालपुर मैदान इस ‘घर वापसी’ का गवाह बना। वर्ष 2012 में भाजपा में बगावत के कारण अस्तित्व में आई हिलोपा (हिमाचल लोकहित पार्टी) अब भाजपा में विलीन हो गई है। महेश्वर जिन प्रो. प्रेम कुमार धूमल को कोसते हुए बागी हुए थे, अंततः उन्हीं के आगे नतमस्तक हो गए।
कुल्लू में आयोजित भाजपा के भव्य कार्यक्रम में महेश्वर सिंह पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हिलोपा के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मंच पर पहुंचे, जहां उनका गरमजोशी के साथ स्वागत हुआ। इससे पूर्व नेता विपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की मौजूदगी में महेश्वर सिंह ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। उनके साथ करीब एक दर्जन नेताओं ने भी सदस्यता फार्म पर हस्ताक्षर किए। सांसद राम स्वरूप शर्मा और पूर्व पंचायती राज मंत्री जय राम ठाकुर सहित पार्टी के अनेक बड़े नेता वहां मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि प्रो. प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्री रहते महेश्वर सिंह का भाजपा में खूब मानमर्दन हुआ। कुल्लू जिले में खिमीराम उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरे, जिन्होंने महेश्वर सिंह को कभी चैन से नहीं रहने दिया। सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर उनके कारोबार को भी नुकसान पहुंचाया गया। खिमीराम को मुख्यमंत्री धूमल का वरदहस्त प्राप्त था, इसलिए महेश्वर सिंह चुपचाप सहने को मजबूर थे। लेकिन जैसे ही सरकार का अंतिम वर्ष यानी चुनावी वर्ष आया, उन्होंने बगावत कर दी।
महेश्वर सिंह ने वर्ष 2012 में धूमल सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए हाई कमान से मांग की कि पार्टी में नेतृत्व को तुरंत बदला जाए। मांग नहीं मानी गई तो उन्होंने यह कहते हुए कि भाजपा में भ्रष्टाचार को लेकर कोई स्टैंड नहीं है, एक नई पार्टी हिलोपा का गठन किया। चुनाव में हिलोपा को तीसरी ताकत के रूप में प्रचारित किया गया था, लेकिन महेश्वर सिंह केवल अपनी सीट ही जीत पाए। उनकी कांग्रेस के साथ मेलजोल की खबरें भी आती रहीं, लेकिन भाजपा में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का बढ़ता कद देखकर उन्होंने हिलोपा सहित भाजपा में ही विलीन होने का निर्णय ले लिया।