शिमला। राजनीति में आम समय हो तो दाग की कौन परवाह करता है? लेकिन चुनाव सर पर हों तो दाग बहुत पीड़ा देते हैं। सीबीआई ने औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में उद्योगों से अनैतिक उगाही का जो भंडाफोड़ किया है, उसकी आंच विधानसभा चुनाव में निश्चित रूप से सत्तारूढ़ कांग्रेस को खासा झुलसाएगी। सीबीआई जांच में इस रिश्वतखोरी के तार हिमाचल के दिल्ली में स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ने के संकेत मिले हैं। विपक्षी दल भाजपा ने इस मुद्दे को हाथों हाथ लपक कर सरकार पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में है।
भारत सरकार के नियमों के मुताबिक कंपनियों को नई मशीनरी खरीदने पर 15 प्रतिशत सब्सिडी सरकार देती है। बद्दी की एक फार्मा कंपनी मैसर्स मेडिसेफ फार्मा में बतौर चार्टेड अकाउंटेंट चंद्रशेखर ने गत 28 मार्च को वहां उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक तिलक राज के पास कंपनी की ओर से सब्सिडी के लिए आवेदन किया था। विभाग ने 50 लाख रुपये की सब्सिडी के लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी, लेकिन कथित रूप से रिश्वत की राशि को लेकर मामला लटक गया। चार्टेड अकाउंटेंट चंद्रशेखर ने इसकी शिकायत सीबीआई के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में दी, जिसमें कहा गया कि संयुक्त निदेशक सब्सिडी रिलीज करने के बदले 10 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं और इसमें अशोक राणा नामक एक व्यक्ति बिचौलिये की भूमिका में है। इस पर सीबीआई ने तुरंत जाल बिछाया। चंद्रशेखर से रिश्वत की रकम घटाने के लिए सौदेबाजी कराई गई, जिससे सौदा पांच लाख रुपये में तय हुआ। सीबीआई की टीम ने इसकी तमाम ऑडियो- वीडियो रिकार्डिंग की और अंततः 29 मई की रात को संयुक्त निदेशक को चंडीगढ़ में पांच लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में सह अभियुक्त के रूप में अशोक राणा को भी गिरफ्तार किया गया। कहा जा रहा है कि पूछताछ में अनेक नेताओं और अधिकारियों के नामों के खुलासे हुए हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े तारः सीबीआई सूत्रों के अनुसार शिकायतकर्ता और अभियुक्त के मध्य बातचीत की रिकार्डिंग में खुलासा हुआ है कि संयुक्त निदेशक को दिल्ली के एक वकील तक बतौर फीस के 35 लाख रुपये पहुंचाने थे, जो हिमाचल के एक बड़े राजनेता का केस लड़ रहा है। यानी वकील की फीस के लिए अभी ऐसे छह और उद्योगों को मूंडा जाना था। संयुक्त निदेशक ने इसके लिए उस नेता के पीएस का फोन आने की बात भी कही थी और कहा कि चाहे तो उनकी सीधी बात भी उससे करा सकते हैं। सीबीआई की प्रारंभिक जांच में मामले के तार नई दिल्ली स्थित हिमाचल के मुख्यमंत्री के कार्यालय से जुड़ते दिख रहे हैं। रिकार्डिंग में यह तथ्य सामने आया है कि तिलक राज ने शिकायतकर्ता से कहा था कि पहली किस्त के पांच लाख रुपये मुख्यमंत्री के दिल्ली में तैनात निजी सचिव रघुवंशी को जाएंगे।
बढ़ती उगाही, सिकुड़ता औद्योगिक क्षेत्रः यह बात किसी से भी छिपी नहीं है कि औद्योगिक क्षेत्र बद्दी- बरोटीवाला- नालागढ़ (बीबीएन) में उद्योगपतियों से उगाही के लिए एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है, जिसमें राजनेताओं, अधिकारियों से लेकर छुटभैये तक शामिल हैं। परिणाम स्वरूप पिछले चार वर्षों में वहां औद्योगिक क्षेत्र लगातार सिकुड़ता चला गया है। सैकड़ों उद्योग पलायन कर चुके हैं और बड़ी संख्या में पलायन की तैयारी कर रहे हैं। प्रदेश में कुछ ही माह में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसमें इस स्थिति के लिए निश्चित रूप से सरकार को जवाब देना पड़ेगा। पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने इस प्रकरण के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से त्यागपत्र की मांग की है।
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