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कड़कती सर्दी में रोहतांग टनल का कार्य बाधित

कुल्लू। देश के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रोहतांग टनल परियोजना के निर्माण में सर्दी का मौसम अड़चन डालने लगा है। मनाली- लेह मार्ग पर रोहतांग दर्रे के नीचे बन रही इस टनल के दोनों छोर में तापमान माइनस से नीचे आ जाने के कारण कामगारों के लिए काम करना मुश्किल हो गया है। परिणाम स्वरूप साउथ पोर्टल में काम की गति धीमी हो गई है, जबकि लाहुल की ओर नॉर्थ पोर्टल में तो कार्य समेटने की ही तैयारी शुरू हो गई है। नॉर्थ पोर्टल में सर्दियों के चलते 5 महीनों के लिए कार्य बंद रहेगा।

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महत्वाकांक्षी रोहतांग टनल का कार्य वैसे अंतिम चरण में पहुंच गया है। बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के इंजीनियरों ने जुलाई 2017 तक टनल के दोनों छोरों के आपस में मिलाने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2019 में इसे यातायात के लिए खोल देने की योजना है। कुल 8.8 किलोमीटर लंबी इस टनल की दोनों छोर से लगभग साढ़े सात किलोमीटर खुदाई पूरी हो चुकी है। अब डेढ़ किलोमीटर से भी कम कार्य खुदाई के लिए रह गया है।  

जैसे- जैसे खुदाई कार्य समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, बीआरओ सहित स्ट्रावेग-एफकान और स्मैक कंपनी के हौसले बुलंद हो रहे हैं। बीआरओ इंजीनियरों का कहना है कि विकट परिस्थितियों में बनाई जा रही इस सुरंग परियोजना से उन्हें सीखने के लिए भी बहुत कुछ मिला है। सुरंग के साउथ पोर्टल पर पानी के रिसाव से मिली चुनौती को पार पा चुके बीआरओ के अधिकारी व इंजीनियर अब अपने को मंजिल के करीब पहुंचा मान रहे हैं।

स्ट्राबेग-एफकान कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील त्यागी का कहना है, “इस सुरंग के निर्माण में हमें बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन अब कंपनी के हौंसले बुलंद हैं।” डिजाइन में बेहतरीन भूमिका निभा रही स्मैक कंपनी के मैनेजर राजेश अरोड़ा का कहना है कि माइनस तापमान से दिक्कतें तो आई हैं, लेकिन फिलहाल काम जारी है।

बीआरओ रोहतांग सुरंग परियोजना के निदेशक कर्नल संजय थपलियाल ने बताया, “सुरंग के दोनों छोर में पारा माइनस से नीचे चला गया है। खून जमा ने वाली ठंड है। इसलिए लाहुल की ओर नॉर्थ पोर्टल में काम को समेटने की तैयारी की जा रही है। सुरंग की खुदाई का मात्र 1400 मीटर कार्य शेष रह गया है। मनाली की ओर साउथ पोर्टल में खुदाई का कार्य सर्दियों में भी चलता रहेगा।”

इस सुरंग के बन जाने से मनाली से लेह के मध्य आवाजाही आसान हो जाएगी। अभी मनाली से लेह जाने के लिए रोहतांग पास (4000 मीटर ऊंचाई) होते हुए गुजरना पड़ता है। सर्दियों में बर्फ पड़ने पर महीनों तक यातायात बंद हो जाता है। रोहतांग टनल को सामरिक दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बन जाने से सीमा पर सेना के लिए सामान की आपूर्ति भी आसान हो जाएगी।   

एचएनपी सर्विस

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