टिहरी गढ़वाल। नई टिहरी के गंगी गांव में स्थित जूनियर हाई स्कूल पिछले तीन वर्षों
भिलंगना ब्लॉक के दूरस्थ गांव गंगी का हाल देखकर कोई भी सहज यकीन नहीं कर सकता कि आधुनिक युग में ऐसा भी संभव है। गांव में बिजली-पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की बात सोचना तो दूर, शिक्षा भी यहां दूर की कौड़ी हो गई है। गांव के जूनियर हाईस्कूल में वर्ष 2010 में एक शिक्षक तैनात किया गया था, लेकिन वह स्कूल नहीं आया। इस स्कूल में पहले 70 बच्चे पढ़ते थे, जिनमें से कुछ बच्चे पढ़ाई के लिए अब घुत्तू जाते हैं। बाकी बच्चे अभी भी इस उम्मीद से गंगी में ही टिके हुए हैं कि कभी तो जन प्रतिनिधियों को शर्म आएगी और यहां के लिये शिक्षक तैनात किये जायेंगे।
सातवीं के छात्र सूरज का कहना है कि बच्चे स्कूल जाते हैं, खेलते हैं, खाना खाते हैं और घर लौट आते हैं। कोई गुरुजी पढ़ाने नहीं आते। उसी की कक्षा के एक अन्य छात्र जसपाल का कहना है कि स्कूल में गुरुजी नहीं है तो में पढ़ाई भी नहीं होती। आगे पता नहीं क्या होगा।
स्कूल में दो भोजन माताएं (मिड-डे मील वर्कर) गंगा देवी और पूरणा देवी पूरी निष्ठा से अपना काम कर रही हैं। दोनों हर दिन बच्चों के लिए खाना बनाती हैं और प्यार से बच्चों को खिलाती हैं। शायद इसी प्यार के कारण बच्चे रोज स्कूल आते हैं। पढ़ाई-लिखाई तो वे लगभग भूल ही चुके है।
मुख्य शिक्षा अधिकारी वीएस रावत का इस संबंध में अपना अलग तर्क है। वे कहते हैं कि गंगी जाने के लिए कोई भी शिक्षक तैयार नहीं है। अगर किसी को जबरदस्ती भेज भी दें तो वह मेडिकल आदि ले आता है। अब वहां पैनल बनाकर शिक्षकों को तैनात करने की योजना बनाई जा रही है।
गंगी गांव के पूर्व प्रधान नैन सिंह कहते हैं कि पिछले तीन वर्षों से शिक्षक न होने के कारण गांव के बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है और लोग सरकारी उपेक्षा के आगे बेबस हैं। अब तो ग्रामीणों के आगे आंदोलन ही एकमात्र विकल्प बचा है।
स्थानी विधायक भीमलाल आर्य का इस बारे में कहना है कि गंगी में शिक्षक की तैनाती के लिए मुख्यमंत्री से मांग की गई है। यदि शीघ्र ही यहां अध्यापक नहीं भेजे गए तो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।