शिमला। हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक आधार पर सरकारी कर्मचारियों के अंधाधुंध तबादलों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश
हाईकोर्ट ने बुधवार को तबादलों से जुड़े पांच मामलों का निपटारा करते हुए कहा कि प्रभावशाली कर्मचारी अपनी पसंद के स्थानों पर वर्षों तक डटे रहते हैं, जबकि दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत कर्मी वर्षों तबादले का इंतजार करते रहते हैं। प्रदेश में थोक में हो रहे तबादलों पर चिंता जताते हुए अदालत ने कहा कि ये तबादले राजनेताओं के कहने पर होते हैं, जोकि गैर कानूनी है। विभागीय स्तर पर इस तरह कार्य गलत है। इससे कर्मचारी काम करने के बजाए अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने में लगे रहते हैं ताकि उन्हें पसंद के स्थान पर पोस्टिंग मिल सके।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि प्रदेश में राजनेताओं की छत्रछाया में तबादला उद्योग तेजी से फल फूल रहा है। यहां निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का आधे से ज्यादा काम तबादले करवाने और रुकवाने का ही रहता है। राजनेताओं के कहने पर इस तरह की कार्यवाही को अदालत ने गैर कानूनी करार दिया है।
अदालत के सात सुझाव:
-सरकार को तबादला नीति बदलकर ट्राइबल और नॉन ट्राइबल की बजाए विभिन्न जगहों को अलग-अलग वर्गों में बांटना चाहिए। कर्मचारी को बार-बार एक ही वर्ग में पोस्ट नहीं किया जाना चाहिए।
-विभिन्न जगहों को अलग-अलग वर्गों में बांटने के बाद कर्मचारियों का डॉटाबेस तैयार कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनको सभी कैटेगरी के स्थानों पर तैनाती दी जाएगी।
-यदि किसी कर्मचारी को तैनाती में छूट दी जानी है तो इसके लिए यह स्पष्ट करना होगा कि तबादला नीति में छूट क्यों दी जा रही है।
-जनप्रतिनिधि किसी कर्मी की शिकायत करते हंै तो उस स्थिति में प्रशासनिक विभाग में टिप्पणी किए बिना कोई कार्रवाई न की जाए।
-जनप्रतिनिधि किसी विशेष कर्मी को विशेष स्थान पर तैनाती के लिए सिफारिश नहीं कर सकते। यह काम प्रशासनिक विभाग का है।
-यहां विभाग द्वारा तबादला आदेश जारी नहीं किए जाते हैं, बल्कि मंत्री या विधायक की सिफारिश पर तबादला आदेश करने हों, उस स्थिति में प्रशासनिक विभाग की टिप्पणी ली जाए। प्रशासनिक विभाग की मंजूरी के बाद ही तबादला आदेश जारी किए जाएं।
-राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सिफारिश पर कोई भी तबादला आदेश जारी न किया जाए। उन्हें इस तरह की सिफारिश करने का कोई हक नहीं है। यदि उन्हें किसी कर्मचारी की शिकायत करनी हो तो मंत्री या प्रशासनिक मुखिया के पास कर सकते हैं।
अपनी तबादला नीति बदले सरकार: हाईकोर्ट
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