उत्तरकाशी। सरकार पर से भरोसा उठ गया तो आपदा की जद में आए ग्रामीणों ने अंततः महापंचायत कर देवी- देवताओं की
चीन- भारत की सीमा पर लगातार अतिक्रमण कर रहा है, लेकिन सूबे की सरकार है कि सीमांत जिलों की सुरक्षा के प्रति कतई गंभीर नहीं है। यही कारण है कि सीमांत जनपद उत्तरकाशी के आपदा प्रभावितों का सरकार पर से विश्वास उठ गया है और वे अब अपनी सुरक्षा के लिए देवी देवताओं के दर पर मिन्नतें मांग रहे हैं। इस साल मॉनसून के शुरू होने से लेकर अब तक ग्रामीण एक रात भी चैन से नहीं सो सके हैं। सरकार की ओर से ग्रामीणों को राहत देने की बात तो दूर, उनका हाल जानने तक के लिए कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा। परिणाम स्वरूप पीड़ित लोग ईष्ट देवी देवताओं के मंदिरों में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की ओर से सुरक्षा के कोई इंतजाम ना होते देख अब उनकी सुरक्षा भगवान भरोसे ही है। शनिवार को अगोड़ा गांव के मंदिर प्रांगण में ढासड़ा, दंदालका और अगोड़ा के ग्रामीणों ने महापंचायत आयोजित कर निर्णय लिया कि क्षेत्र पर मंडरा रहे खतरे से निजात पाने के लिए देवी-देवताओं की शरण में जाने के सिवा कोई चारा ही शेष नहीं बचा है। ग्रामीण पिछले काफी समय से सरकार से पुनर्वास और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। ग्रामीणों ने जब क्षेत्र में तैनात पटवारी को फोन कर बारिश से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए गुहार लगाई तो पटवारी का कहना था कि वे हुए नुकसान के फोटो लेकर उनके पास आएं।
अगोड़ा में हुई महापंचायत के बाद ढासड़ा, दंदालका और अगोड़ा के तकरीबन 150 ग्रामीण अपने ईष्ट नाग देवता, सर्प नाग देव की डोली के साथ डोडीताल के लिए निकल पड़े। केलसू क्षेत्र के कमल सिंह रावत बताते हैं पूरा केलसू क्षेत्र खतरे की जद में हैं, यहां कभी भी गांव जमींदोज हो सकते हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक उनकी कोई सुध नहीं ली।