Advertising

हिमाचल प्रदेश

निजी विश्वविद्यालयों में अब PHD करवाने के नाम पर फर्जीवड़ा

शिमला। फर्जी डिग्रियां बेचने के लिए बदनाम हिमाचल प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में अब पीएचडी करवाने के नाम पर भी बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। UGC के नियमों की परवाह किए बिना मनमाने ढंग से पीएचडी कराई जा रही है। मामले की जांच कर रही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के अध्यक्ष को सौंप दी है। माना जा रहा है कि यदि मामले में यदि सही ढंग से कार्रवाई हुई तो कोई बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।  

Advertisement

प्राप्त जानकारी के अनुसार अभ्यर्थियों को बिना प्रवेश परीक्षा ही डिग्रियां करवाई जा रही हैं। नियमानुसार किस विभाग में कितनी सीटें हैं, इसका पहले प्रचार करना होता है, इसके लिए विज्ञापन जारी किया जाता है। उसके बाद प्रवेश परीक्षा कराई जाती है, लेकिन इन निजी विश्वविद्यालयों में ऐसी कोई प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। यूजीसी ने पीएचडी गाइड के लिए आयु सीमा भी तय की है। 70 वर्ष से अधिक आयु वाला गाइड नहीं बन सकता, लेकिन निजी विश्वविद्यालयों में कई शोधार्थियों के गाइड की उम्र 72 से 75 वर्ष भी है।

नियमों के तहत शोधार्थी को 18 माह कैंपस में रहकर शोध कार्य करना होता है। यह नियम भी पूरा नहीं हुआ। आचार्य, सह आचार्य व सहायक आचार्य जितने शोधार्थी ले सकते हैं, इस नियम की भी पूरी तरह अनदेखी की गई है। नियामक आयोग ने इन विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा है।

कुछ निजी विश्वविद्यालयों ने सहायक आचार्यों को नियुक्त करने के बाद ही उनके अधीन पीएचडी करवाना शुरू कर दिया। आचार्य, सह आचार्य व सहायक आचार्य के लिए पीएचडी करवाने का जो नियम है उसकी भी अनदेखी हुई है। कई विश्वविद्यालयों ने इन सभी के अधीन आठ-आठ शोधार्थियों को पीएचडी करवाने का कार्य दिया।

Advertisement

यह है पीएचडी करवाने के नियम

पीएचडी करवाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तहत नियम तय हैं। आचार्य आठ शोधार्थियों को एक समय में पीएचडी करवा सकता है। सह आचार्य छह, जबकि सहायक आचार्य चार शोधार्थियों को पीएचडी करवा सकते हैं। जब शोधार्थी का शोध कार्य पूरा हो जाए और उसे डिग्री अवार्ड हो जाए तो उसके बाद ही वे अन्य शोधार्थियों को पीएचडी करवा सकते हैं।

सहायक आचार्य भी पांच वर्ष शैक्षणिक अनुभव के बाद ही पीएचडी के लिए पात्र होंगे। पीएचडी में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन मानी जाती है। विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा करवाता है। इसके आधार पर ही प्रवेश मिलता है। इसके अलावा नेट, एमफिल यदि किसी ने की हो तो उसके अतिरिक्त अंक मिलते हैं।

निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अतुल कौशिक ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ इस तरह की शिकायतें मिलने के बाद जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद कुछ विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जवाब आने के बाद इस मामले में आगामी कार्रवाई की जाएगी।

Advertisement
एचएनपी सर्विस

Recent Posts

पं नेहरू के प्रति मेरे मन में पूरा सम्मानः शांता कुमार

धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More

6 months ago

मणिकर्ण में आग लगने से दो मंजिला मकान जलकर राख

कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More

6 months ago

फासीवाद बनाम प्रगतिशील

फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More

6 months ago

वाईब्रेंट विलेज नमग्या पहुंचे राज्यपाल, स्थानीय संस्कृति एवं आतिथ्य की सराहना की

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More

8 months ago

दुग्ध उत्पादकों के लिए जुमलेबाज ही साबित हुई सुक्खू सरकार

रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More

11 months ago

खुलासाः मानव भारती विवि ने ही बनाई थीं हजारों फर्जी डिग्रियां

शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More

11 months ago
Advertisement