कुल्लू। अंतत: वही हुआ, जिसकी पहले से ही आशंका व्यक्त की जा रही थी। कुल्लू-मनाली के दिग्गज नेता धर्मवीर धामी ने भाजपा को अलविदा कह दिया है। कांग्रेस के मजबूत नेता रहे धर्मवीर धामी ने संसदीय चुनावों के दौरान काफी झिझकते हुए से भाजपा का दामन थामा था। शिमला के आशियाना रेस्तरां में हुए उस कार्यक्रम में पत्रकारों ने श्रीधामी से पूछा था, ”क्या आपको भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा आपको टिकट देगी?” श्रीधामी का जवाब था, ”टिकट का भरोसा तो वीरभद्र सिंह जी ने भी मुझे कई बार दिया था, लेकिन बाद में उसे कभी पूरा नहीं किया। अब भाजपा ने भी यदि ऐसा ही किया तो मैं क्या कर लूंगा। ” उसी समय एहसास हो गया था कि श्रीधामी की भाजपा के साथ दोस्ती ज्यादा लंबी नहीं चलने वाली।
धर्मवीर धामी ने जिला मुख्यालय कुल्लू में मंगलवार को अपने हजारों समर्थकों की एक बैठक में भगवा चोला उतार फेंकने की घोषणा कर दी और साथ ही अपने राजनीतिक भविष्य का फैसला कार्यकर्ताओं पर छोड़ दिया। श्रीधामी का अगला कदम क्या होगा, इसे लेकर अभी मात्र अटकलबाजियां चल रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वे कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं।
धर्मवीर धामी ने इस मौके पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ”आज भाजपा के अंदर शांता कुमार जैसे वरिष्ठ नेता की इज्जत नहीं है, वहां मेरी क्या इज्जत होगी। शांता कुमार ने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने नाहन रैली में भी मंच पर भ्रष्टाचार को लेकर पार्टी और सरकार को नसीहत दी थी, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरी ने श्रीधूमल को क्लीन चिट दे दी। भाजपा में आज सच्ची बात करने वाले नेताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।”
उल्लेखनीय है कि धर्मवीर धामी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व. राज कृष्ण गौड के भानजे हैं। कांग्रेस में किसी समय उनकी तूती बोलती थी, लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने 2003 में कांग्रेस छोड़ कर निर्दलीय तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था और 16 हजार मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। उसके बाद उन्होंने 2008 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा और 24 हजार मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस प्रत्याशी अपने मामा स्व. राजकृष्ण गौड को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। उसके बाद लोकसभा चुनावों के दौरान वे भाजपा में शामिल हुए थे।