Advertising

बिजली परियोजनाओं के लिए शर्तें कड़ी करने की तैयारी

रामपुर बुशहर। हिमालयी क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए कड़ी शर्तों से साथ नई गाइडलाइन

Advertisement
बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वायत्त संस्था गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास ने हिमाचल प्रदेश में स्थापित विद्युत परियोजनाओं के पर्यावरण और स्थानीय जन जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का गहन अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की है, जिसे शीघ्र ही केंद्रीय मंत्रालय को भेजा जा रहा है। माना जा रहा है कि इन सिफारिशों के लागू होने पर पहाड़ों में जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण और विकट हो जाएगा।

गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान की सिफरिशों में पहाड़ों में बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं की एक परियोजना से दूसरी परियोजना की वायु मार्ग से दूरी सात किलोमीटर, मध्य वर्ग की परियोजनाओं की दूरी पांच किलोमीटर और छोटी परियोजनाओं के लिए दूरी तीन किलोमीटर रखनी आवश्यक की गई है। इसके साथ ही और भी कई शर्तें जोड़ी गई हैं।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में रन आफ दी रिवर बन रही परियोजनाओं में एक से दूसरी परियोजना की दूरी कई जगह एक किलोमीटर भी नहीं रखी गई है। इससे नदी का सारा प्रवाह भूमिगत हो गया है और स्थानीय लोगों के साथ वन्य जीव भी प्रभावित हुए हैं। बताया गया है कि इस रिपोर्ट में समुदाय आधारित सम्मेलनों से निकले निष्कर्ष और विभिन्न संस्थाओं के सुझावों को भी तवज्जों दी गई है। वास्तव में हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं के प्रति उपजे जनाक्रोश तथा प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते ग्राफ के कारण भू-वैज्ञानिकों का ध्यान इस ओर मुड़ा है।

गोविंद बल्ल्भ पंत हिमालयण पर्यावरण एवं विकास की कुल्लू इकाई ने इसके लिए हिमाचल में विद्युत परियोजनाओं के स्थानीय जनजीवन पर पड़े प्रभावों का गहराई से आकलन किया है। अध्ययनों के अलावा कई विषय विशेषज्ञों, स्थानीय समुदायों और पर्यावरणविदों के अनुभवों को भी साझा किया है। अध्ययनों में यह सच्चाई भी खुलकर सामने आई है कि अभी तक परियोजना निर्माताओं ने पर्यावरण संरक्षण के मामले में केवल कागजी घोड़े ही दौड़ाए हैं। समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया।

हाल ही में संस्था के कुल्लू में हुए परामर्श सम्मेलन में कई विशेषज्ञों ने अपने बहुमूल्य सुझाव रखे। इनमें प्रमुख रूप से वन, पर्यावरण और विद्युत विभाग, इन्द्रप्रस्थ विश्व विद्यालय दिल्ली, जेएनयू दिल्ली,  एनआईटी हमीरपुर और हिम लोक जागृति मंच के प्रतिनिधियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। सम्मेलन में संस्था की कुल्लू इकाई की प्रभारी वैज्ञानिक डा. एसएस सामंत ने कहा कि यह एक सकारात्मक संकेत है जो सभी संस्थाएं पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आ रही हैं।

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के निदेशक बीएस राणा ने इस अवसर पर कहा कि पूर्व में जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण पर्यावरण और स्थानीय समुदाय को व्यापक स्तर पर ध्यान में रख कर नहीं किया गया है। अब वक्त आ गया है कि प्रकृति का सम्मान और स्थानीय लोगों का हित सर्वोपरि रखें।

जीवी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्था की कुल्लू इकाई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जेसी कुनियाल ने कहा कि प्रयास किया जा रहा है कि हिमालयीय क्षेत्रों में विद्युत परियोजनाओं का निर्माण और बेहतर ढंग से हो ताकि परियोजनाएं लंबी अवधि की बनें और समुदाय भी लाभान्वित हो। इसी लिए नई गाईडलाईन तैयार की जा रही है।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

Recent Posts

पं नेहरू के प्रति मेरे मन में पूरा सम्मानः शांता कुमार

धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More

6 months ago

मणिकर्ण में आग लगने से दो मंजिला मकान जलकर राख

कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More

6 months ago

फासीवाद बनाम प्रगतिशील

फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More

6 months ago

वाईब्रेंट विलेज नमग्या पहुंचे राज्यपाल, स्थानीय संस्कृति एवं आतिथ्य की सराहना की

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More

7 months ago

दुग्ध उत्पादकों के लिए जुमलेबाज ही साबित हुई सुक्खू सरकार

रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More

11 months ago

खुलासाः मानव भारती विवि ने ही बनाई थीं हजारों फर्जी डिग्रियां

शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More

11 months ago
Advertisement