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नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे केंद्रीय लघु उद्योग मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह ने मंगलवार को अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंप दिया, जिसे कबूल कर लिया गया है। शिमला की एक अदालत में सोमवार को वीरभद्र सिंह और उनकी सांसद पत्नी प्रतिभा सिंह के खिलाफ 23 साल पुराने मामले में भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप तय किए गए थे। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए किसी ने नहीं कहा और वे ऐसा सिर्फ नैतिकता के आधार पर कर रहें हैं। उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि वो नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से पार्टी या प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचे।
वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पर अपने खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया और कहा, ”मेरे खिलाफ पेश किए गए सबूत मनगढ़ंत हैं। सीडी में मेरी आवाज नहीं है और ये पूरी तरह से फर्जी है।”
केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य रहे 78 वर्षीय वीरभद्र सिंह ने सोमवार शाम को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर अपने खिलाफ सबूत के तौर पर पेश की गई सीडी और आरोपों को मनगढ़ंत बताया था।
टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल के आरोपों का जवाब देते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा, ”केजरीवाल ‘गलत नीयतÓ से आरोप लगा रहे हैं। उन्हें मौजूदा हिमाचल प्रदेश सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिए।”
पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह का इस्तीफा उस समय आया है जब राज्य में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बाकी है। टीम अन्ना ने मांग की है कि हिमाचल में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार न बनाए।