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शिमला। केंद्रीय लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग मंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह के खिलाफ शिमला की एक विशेष अदालत ने बहुचर्चित सीडी कांड में आरोप तय कर दिए। विशेष न्यायाधीश बीएल सोनी ने छह जून को सुनवाई पूरी कर लेने के बाद सोमवार को कहा कि इन दोनों के खिलाफ आरोप तय करने के पर्याप्त सबूत हैं।दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम की धारा 7, 11 और 13 के तहत आरोप तय किये गए हैं।
सिंह दंपति के खिलाफ अदालत में पेश की गई सीडी में वे एक आईएएस अधिकारी मोहिंदर लाल और कुछ उद्योगपतियों से अर्थिक लेन देन के मामले में बात कर रहे थे। सीडी की जांच में वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी की आवाज की पुष्टि हुई है। यह बातचीत उस समय की है जब वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
कांग्रेस के पूर्व मंत्री और वीरभद्र के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी विजय सिंह मनकोटिया ने मई 2007 में यह सीडी जारी की थी। उसके बाद तीन अगस्त 2009 को इन दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और अभियोजन पक्ष ने अक्तूबर 2010 को विशेष न्यायाधीश के समक्ष मामला दायर किया।
्अदालत का फैसला आते ही वीरभद्र सिंह पर त्यागपत्र देने के लिए दबाव बढ़ गया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि अगर वीरभद्र सिंह त्यागपत्र नहीं देते हैं तो प्रधानमंत्री को उन्हें बर्खास्त करना चाहिये।
मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल ने अदालत के इस फैसले पर कहा कि लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद यह एक अच्छा फैसला है। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने इस मामले को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया। पहले कहा कि सीडी की सीबीआई जांच नहीं होनी चाहिए। फिर उन्होंने इस केस को निरस्त करने के लिए उच्च न्यायालय में भी अपील की। लेकिन कानून ने अपना काम किया और फैसला सबके सामने है।