शिमला। प्रदेश सरकार ने जनता के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए अंततः ‘कोटखाई प्रकरण’ में सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। नाबालिग छात्रा के साथ गैंगरेप और हत्या के खौफनाक मामले में जनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था। पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट लोगों ने शुक्रवार को ठियोग में उग्र प्रदर्शन करते हुए चक्का जाम किया और पुलिस की गाड़ियों से तोड़फोड़ की। लोग मामले की सीबीआई जांच की मांग पर अड़े थे।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शुक्रवार को जैसे ही कुल्लू दौरे से लौटे और स्थिति का जायजा लिया, उन्होंने तुरंत मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद ही आंदोलनकारियों का गुस्सा शांत हुआ। आंदोलनकारियों का आरोप था कि इस मामले में पुलिस प्रभावशाली अपराधियों को बचा रही है और मात्र खानापूर्ति के लिए आम लोगों को पकड़ा गया है।
पुलिस महानिदेशक सोमेश गोयल और आईजी जहूर एच जैदी ने वीरवार को मीडिया के समक्ष खुलासा किया था कि ‘कोटखाई प्रकरण’ में छह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें दो कोटखाई के, दो उत्तराखंड के और दो नेपाली मजदूर शामिल हैं। आंदोलनकारियों ने उसी समय पुलिस की इस जांच को सिरे से नकार दिया और सीबीआई जांच की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
जनता के आक्रोश को उस समय और बल मिला जब मृतक छात्रा के माता- पिता ने भी कह दिया कि, “इस मामले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनकी संलिप्तता पर हमें संदेह है। हम इस जांच से संतुष्ट नहीं है। पुलिस मामले को दबा रही है।” इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने सोशल मीडिया में पुलिस की थ्यूरी पर ढेरों सवाल दागने शुरू किए और जांच को खारिज किया।
शुक्रवार को लोगों ने ठियोग भी भारी रोष प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय मार्ग पर घंटों जाम लगाया। इस दौरान पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की तीखी झड़पें भी हुईं। क्रुद्ध भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया और उसकी गाड़ियों से तोड़फोड़ भी की।
माना जा रहा है कि इस कांड में पुलिस की जांच अभी आरंभिक अवस्था में ही थी तथा पुलिस ने मात्र जनता के आक्रोश को शांत करने के लिए जल्दबाजी में अपना फैसला सुना दिया। पुलिस आने वाले समय में किसी ठोस नतीजे पर पहुंच सकती थी, लेकिन अब यह मौका उसके हाथ से निकल गया है। अब उसे यह मामला सीबीआई को सौंपना पड़ेगा।