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ब्यूंस के क्लोन पर तैयार की गुणकारी मशरूम

सोलन। देश की खुंब नगरी सोलन में वैज्ञानिकों ने ब्यूंस के पेड़ के क्लोन पर औषधीय गुणों से भरपूर शिताके मशरूम तैयार करने में सफलता पाई है। डॉ.

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वाइएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में पिछले दस वर्षों से इस कार्य पर शोध चल रहा था। इस सफलता के बाद सोलन के निकट शमलेच गांव में स्थित एक मशरूम फार्म में इस मशरूम का व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है।

मशरूम फार्म के मालिक विकास बनाल को यहां स्थित मशरूम निदेशालय एवं अमरीकन उद्यमी सांड्रा व डगलस विलियम ने शिताके के व्यवसायिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद उन्होंने अमरीका व बेल्जियम से शिताके के बीज मंगवाए और नौणी विवि के सहयोग से ब्यूंस के क्लोन पर इसके उत्पादन का प्रयोग शुरू किया। फार्म में ब्यूंस के गट्ठों में छेद करके शिताके के बीज डाले गए, जिसके बाद एक वर्ष के भीतर ही इन बीजों से मशरूम भी उगने लगी और विश्वविद्यालय का शोध सफल हो गया। ब्यूंस के अलावा उन्होंने कुनिश, मरीनू व मेपल की लकड़ी पर भी इस मशरूम उत्पादन शुरू किया है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि शिताके के उत्पादन के लिए वातानुकूलित भवन की भी जरूरत नहीं पड़ती।  इसकी खेती खुले में या फिर शैड व नेट के अंदर भी की जा सकती है।

शिताके मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है, जिसका वैज्ञानिक नाम लेंटिनस इडोडस है। प्रोटीन की मात्रा से भरपूर इस मशरूम के सेवन से रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है। शिताके से कैंसर की दवाई भी बनाई जाती है, जिस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी मांग है। ब्यूंस के क्लोन पर यह मशरूम 40-45 दिनों में ऊगनी शुरू हो जाती है। इसकी कीमत लगभग 200 रुपये प्रति किलो है, जबकि सूखी शिताके के दाम दो हजार रुपये प्रति किलोग्राम है। यही इसकी बड़ी खासियत भी है कि इस मशरूम को सुखाकर लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सकता है और कहीं भी भेजा जा सकता है।

नौणी विवि में विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. एनबी सिंह के मुताबिक ब्यूंस के पेड़ों को लेकर वृक्ष सुधार विभाग की प्रयोगशालाओं में 10 साल से शोध चल रहा है। इसके परिणामस्वरूप विवि के विज्ञानियों ने ब्यूंस के क्लोन तैयार किए, जिसमें सैलिक्स नाइग्रा व हाइब्रिड श्रेष्ठ हैं। इनके पौधे जल्दी तैयार होकर शीघ्र बड़े हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि विभाग ने इन क्लोन से तैयार उन्नत किस्म के तीन गुणा पांच इंच मोटाई के गट्ठे विकास मशरूम फार्म को दिए, जिन पर शिताके की खेती सफलता पूर्वक तैयार की गई। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में वास्तव में ही यह एक बड़ी उपलब्धि है।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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