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धर्मशाला। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने की तैयारियां चल रही हैं। पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के अनुसार टिकटों का फैसला एक सप्ताह के भीतर हो जाएगा। ताजा घटनाक्रम में शांता कुमार ने सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्री रविंद्र सिंह रवि के प्रति अपना रुख नरम कर लिया है, लेकिन नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया को माफ करने के मूड में नहीं लगते। अभी तक ये दोनों नेता शांता गुट के प्रमुख निशाने पर रहे हैं।
धर्मशााला में वीरवार को केंद्र सरकार के खिलाफ भाजपा के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए शांता कुमार ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन के समय उनकी छवि और जीत सकने की क्षमता को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाएगा। नूरपुर के निर्दलीय विधायक राकेश पठानिया की भाजपा में वापसी के बारे में पूछने पर शांता कुमार ने दो टूक कह दिया, ”भाजपा ऐसा प्लेटफार्म नहीं है कि यहां जब कोई चाहे आ जाए और जब चाहे चला जाए।” संकेत साफ था कि वे राकेश पठानिया को पार्टी में लेने के हक में नहीं हैं।
धूमल समर्थक राकेश पठानिया को पिछली बार शांता कुमार के विरोध के कारण टिकट नहीं मिली थी, जिस कारण वे निर्दलीय रूप से चुनाव लड़े और जीते थे। प्रो. प्रेमकुमार धूमल के मुख्यमंत्री बनने पर वे भाजपा से संबद्ध हो गए थे और सरकार की हिमायत में हमेशा खड़े भी रहे।
राकेश पठानिया ने पिछले दिनों शान्ता कुमार से दूरियां कम करने की भी कोशिश की। वे उनके जन्म दिन के समारोह में भी शामिल हुए, लेकिन उन्हें अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली।
इसी बीच सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री रविन्द्र रवि के प्रति उनका रुख काफी नरम लगा। माना जा रहा है कि वे रविंद्र रवि को ज्वालामुखी से टिकट दिए जाने का विरोध नहीं करेंगे और अपने खास समर्थक खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश ध्वाला को ज्वालामुखी के बजाए देहरा से चुनाव लडऩे के लिए मना लेंगे। शान्ता कुमार ने रविन्द्र रवि के बारे में पूछे प्रश्न के उत्तर में कहा कि, ”रविंद्र रवि को कहीं न कहीं से तो टिकट देनी ही है।” उन्होंने रविन्द्र रवि के ज्वालामुखी से चुनाव लडऩे की संभावना से भी इनकार नहीं किया।
प्रमुख विपक्षी दल कांगे्रस के बारे में शांता कुमार ने एक बार फिर से स्वीकार किया कि वीरभद्र सिंह के अध्यक्ष बनने से कुछ फरक अवश्य पड़ा है, लेकिन केन्द्र में कांगे्रस भ्रष्टाचार में इतनी बदनाम हो गई है कि वे भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे। पालमपुर में स्वामी विवेकानंद अस्पताल ट्रस्ट के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह ट्रस्ट पहले की तरह ही है। इतना बड़ा अस्पताल बनाना उनके लिए सभव नहीं था, इसलिए जेपी कंपनी की सहायता ली गई। उन्होंने कहा कि जेपी कंपनी अन्य जगहों पर क्या कर रही है, इससे उनका कोई लेना देना नहीं है।