शिमला। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में सेब की 5000 करोड़ की अर्थव्यवस्था पर बडे़ व्यापारिक घरानों की नजर है। बागवान यदि सचेत नहीं रहे तो एक दिन उनके बागीचों पर बड़ी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा। उसी तरह जैसे असम के चाय बागान किसानों के हाथों से निकल गए।
राकेश टिकैत शनिवार को अपने हिमाचल दौरे के दौरान यहां प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अदानी समूह ने दस साल पहले यहां कारोबार शुरू किया था। उसका ही यह असर है कि बागवानों को अब सेब के सही दाम नहीं मिल रहे। हिमाचल के बागवानों के लिए सेब के जो दाम 10 वर्ष पहले थे, आज भी वही है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इन 10 वर्षों में महंगाई नहीं बढ़ी और क्या इस दौरान डीजल- पेट्रोल, खादों व दवाओं के दाम नहीं बढ़े? उन्होंने कहा कि इसी से प्रदेश के बागवानों की दशा को समझा जा सकता है। यदि ये कृषि विधेयक लागू हो गए तो आने वाले दिनों में स्थिति और बदतर होगी।
किसान नेता ने कहा कि हिमाचल में इन दिनों सेब सीजन जोरों पर है और यहां भी निजी कंपनियों ने सेब के दाम गिरा दिए। अदानी समूह ने पहले स्टोर से सारा सेब बाजार में भेजकर दाम गिरा दिए और अब वह बागवानों से सस्ती दर पर सेब की खरीद कर रहा है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन पूरे देश में फैल चुका है। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती। उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत में आंदोलन को लेकर कई बड़ी घोषणाएं की जाएंगी।
राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार को वापस लेना ही होगा और एमएसपी गारंटी कानून बनाना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय डबल होने की बात करती है, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कारपोरेट घरानों के हाथों में है। उसे किसानों और बागवानों की कोई चिंता नहीं है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में चल रहे आंदोलन में वे किसानों को बताएंगे कि कैसे हिमाचल में अदानी ने सेब के कारोबार को प्रभावित करना शुरू कर दिया है और आने वाले दिनों में देश के अन्य हिस्सों में भी यही होगा। किसानों को जमीन बेचने को मजबूर किया जाएगा और उस जमीन पर कंपनियों का कब्जा होगा।
हिमाचल की ठंडी हवाओं में क्रांति की गर्मी लानी होगीः राकेश टिकैत ने कहा कि हिमाचल की ठंडी वादियों में क्रांति की गर्मी लानी पड़ेगी। किसानों- बागवानों को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना ही पड़ेगा। बिना संघर्ष किए किसानी- बागवानी कुछ भी सुरक्षित नहीं रहेगी।
किसान नेता ने कहा कि हिमाचल सरकार को बागवानों के हितों के कानून लागू करते हुए कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाना चाहिए। बागवानों को राहत देते हुए सरकार को सेब की ढुलाई पर ट्रांसपोर्ट सब्सिडी देनी चाहिए। सेब की खरीद के लिए एमएसपी तय होना चाहिए। यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया तो संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन करेगा। उन्होंने कहा कि वे यहां के किसान –बागवान नेताओं से बात करेंगे ताकि आंदोलन की रूप रेखा तय की जा सके।
इससे पूर्व राकेश टिकैत का चंडीगढ़ से शिमला तक जगह-जगह किसानों ने भव्य स्वागत किया। सोलन में भी उन्होंने किसानों और मीडिया को संबोधित भी किया। इस दौरान अनेक किसान एवं बागवान नेता भी उनके साथ थे।