पटना (दरभंगा)। बिहार के दरभंगा जिले में एक गरीब रिक्शा चालक के बैंक खाते का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों रुपये का लेनदेन होता रहा, लेकिन उस गरीब
आइडीबीआइ बैंक के विभिन्न खातों पर नजर दौड़ाने पर पता चला कि एक शख्स के नाम से पांच माह में तीन करोड़ रुपये जमा व निकासी हुई है। वह भी बिना पैन कार्ड का इस्तेमाल किए। पूरी जानकारी लेने पर खातेदार के रूप में नगर थाना क्षेत्र के शुभंकरपुर के रत्नोपट्टी निवासी लक्ष्मी सहनी के पुत्र लालबाबू सहनी का नाम सामने आया। उसके नाम से खाता संचालित है। आयकर के अधिकारी जब तह तक पहुंचे तो शहर के धन्नासेठों की कारगुजारियों का पता चला। आयकर विभाग से पूछताछ में लाल बाबू ने बताया कि उसके नाम से बैंक में कैसे खाता खुला, उसे पता ही नहीं है। उसे एक चेक पर हस्ताक्षर करने के चार सौ रुपये दिए जाते थे। फिलहाल मजदूर ठीक ढंग से बात नहीं कर पा रहा है। उसने मीडिया को बताया कि रिक्शा चलाने और मछली मारने के अलावा वह एक व्यापारी के पास भी काम करता है। इसी दौरान यह हुआ। बताया तो यह भी जा रहा है कि व्यापारी ने उसे आयकर विभाग तक नहीं पहुंचने देने की पूरी कोशिश की, पर विभाग की दबिश के आगे उनकी एक नहीं चली।
अब स्थिति यह है कि टैक्स चोरी के आरोप में मजदूर लाल बाबू को कुल रकम का तीसरा हिस्सा जुर्माने के रूप में देना होगा और ब्याज के साथ तीन गुना पेनाल्टी भी देनी होगी। कुल मिलाकर यह रकम पांच करोड़ हो जाती है। लालबाबू के हाथ-पांव फूले हुए हैं।
बैंक की भूमिका भी संदिग्धः इतनी बड़ी राशि की जमा व निकासी बिना पैन कार्ड के किए जाने से बैंक पर भी शिकंजा कसना तय माना जा रहा है। बैंक प्रबंधक ने गोपनीयता की बात कहकर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। आयकर के एक अधिकारी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने इसे चुनौती के रूप में लिया है। इसकी जांच आयकर निदेशक निगरानी पटना द्वारा की जा रही है। माना जा रहा है कि यदि मामले की निष्पक्षता से जांच हुई तो शहर के अनेक बड़े व्यापारियों के काले कारोबर पर से पर्दा उठ जाएगा।