कांगड़ा। कांगड़ा जिला की दुर्गम ग्राम पंचायत बड़ा भंगाल पिछले तीन वर्ष से बिना बिजली के अंधेरे में है। इस क्षेत्र के
बड़ाभंगाल पंचायत के दो गांवों में करीब सात सौ की आबादी है। कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने इस पंचायत को बिजली उपलब्ध करवाने के लिए वहां एक छोटा पॉवर प्रोजेक्ट लगाया था । इस प्रोजेक्ट को खुद गांव के ही लोग संभालते थे। करीब तीन वर्ष पूर्व इसकी मुख्य टरबाइन में कोई खराबी आ गई। उसे ठीक करने के लिए सरकार के समक्ष कई बार मांग रखी गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।
रावी नदी के किनारे बसे इस गांव तक तीन दिन के पैदल सफर के बाद ही पहुंचा जा सकता है। पांच- छह वर्ष पूर्व यहां बिजली आने से ग्रामीणों को काफी सुविधा हुई थी। लेकिन अब यह गांव फिर से अंधेरे में डूब गया है। ग्रामीणों ने बताया कि टरबाइन का एक पुर्जा बदला जाना है, जिसे लाने के लिए हेलीकॉप्टर की जरूरत पड़ेगी, लेकिन सरकार उनकी समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही।
स्थानीय पंचायत के प्रधान चुनीलाल भंगालिया ने बताया कि वे पिछले तीन वर्ष से प्रशासन से प्रोजेक्ट में आई खराबी को ठीक कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई भी उनकी सुनने को तैयार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि वे अब स्वयं इस मामले को लेकर राज्यपाल से मिलेंगे और बताएंगे कि सरकार और प्रशासन किस प्रकार पिछड़े क्षेत्रों की अनदेखी कर रहे हैं।
हिम ऊर्जा के निदेशक केएल ठाकुर से मीडिया ने जब इस संबंध में बात की तो उन्होंने इस मामले में अनभिज्ञता प्रकट करते हुए कहा, “मेरी जानकारी के अनुसार इस प्रोजेक्ट को ठीक कर दिया गया था। अगर वहां अब भी बिजली नहीं है तो इस बारे में संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट तलब कर इसे जल्द ठीक करवाया जाएगा।”
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