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पेटी में 22 किलो से अधिक सेब भरने पर होगी सजा

शिमला। हिमाचल प्रदेश में बागवान अब एक पेटी में 22 किलोग्राम से अधिक सेब भर कर मार्केट नहीं भेज सकेंगे। करीब

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एक वर्ष की कसरत के बाद अंततः प्रदेश सरकार ने सेब की पैकिंग के लिए अध्यादेश लाकर नया कानून लागू कर दिया है। संशोधित हिमाचल कृषि एवं उद्यानिकी उपज विपणन अधिनियम के तहत अब 22 किलो से अधिक वजन की सेब की पेटी मार्केट में नहीं आएगी। छोटी पेटी का वजन भी 11 किलो से ज्यादा नहीं होगा। बागवानों, आढ़तियों और ट्रांसपोर्टरों में से जो भी इस कानून को तोड़ेगा, उसके लिए सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें न्यूनतम सजा के रूप में एक हजार रुपये जुर्माना, जबकि अधिकतम सजा तीन माह की कैद और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।

बागवानी मंत्री विद्या स्टोक्स ने बताया कि सेब सीजन को देखते हुए मानसून सत्र से पहले यह अध्यादेश लाया गया है। इसे जल्द लाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि सेब की फसल मार्केट में आनी शुरू हो गई है।

विद्या स्टोक्स ने आर्डिनेंस को लेकर शुक्रवार को राज्यपाल उर्मिला सिंह से भेंट की। अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से भी भेंट की। मानसून सत्र में अध्यादेश को सदन में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सेब के लिए जब लकड़ी की पेटियां होती थीं, उस समय भी एक पेटी में 20-22 किलोग्राम से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता था। लेकिन जब से पैकिंग के लिए कार्टन बाक्स का प्रयोग शुरू हुआ तो उसमें पिछले कुछ वर्षों से निर्धारित से 7-8 किलोग्राम तक अधिक सेब भरा जाने लगा। इससे सेब की ग्रेडिंग में भी भारी अंतर आ गया। लार्ज ग्रेड मीडियम के बाक्स में तो मीडियम ग्रेड स्माल के बाक्स में भरा जाने लगा। सेब की एक अतिरिक्त लेयर भी भरी जाने लगी। व्यापारियों ने भी इसके लिए बागवानों को उकसाने का काम किया तथा ऐसी पेटियों को कुछ अच्छे दामों पर बेचा जाने लगा, जबकि वास्तव में बागवानों को इसका नुकसान ही होता था।

बागवान इसलिए भी अधिक सेब भरते थे, क्योंकि इससे उनका पेटियों का खर्चा भी कुछ घट जाता था और ढुलाई भाड़े में भी वे लाभ में रहते थे। लेकिन ऐसे में अधिक दबाव पड़ने पर फल के दागी होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। प्रदेश सरकार को इससे राजस्व के रूप में प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये का चूना भी लगता है। बागवानों और व्यापारियों के कड़े विरोध के बावजूद अंततः सरकार ने कानून बनाकर सेब की पेटियों का वजन निर्धारित कर दिया है।

मुख्य संसदीय सचिव (कृषि) रोहित ठाकुर का कहना है कि प्रदेश सरकार के इस फैसले से बागवानों और व्यापारियों दोनों को ही लाभ होगा, क्योंकि इससे सेब की फसल सुरक्षित ढंग से मार्केट में पहुंचेगी और उसे भंडारित करने में भी कोई जोखिम नहीं रहेगा। मार्केट में सुरक्षित पहुंचे सेब को निर्यात करने में भी आसानी होती है।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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