बद्दी। कलियुग में सतगुरू का सुमिरन ही भवसागर से पार लगा देता है। जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा व निष्काम भाव से सतगुरू का ध्यान करता है, उसे हर कष्ट से मुक्ति मिलती है। प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए गुरू प्रेमचंद जी महाराज ने नालागढ़ के राम दरबार मंदिर रंगूवाल में उपस्थित भक्तजनों को सतगुरू के रंग में पूरी तरह रंग जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक सच्चे गुरू की पहचान करना मुश्किल है, क्योंकि हमारा समाज पाखंडी और लालची ढोंगियों से भरा पड़ा है। एक सच्चा गुरू वही होता है जो अपने शिष्य पर किसी भी प्रकार की आंच नहीं आने देता और शिष्य को सच्ची राह दिखाकर भगवान से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति लोभ, मोहमाया और लालच के भंवर में फंस जाता है, उसे कभी भी भगवान की प्राप्ति नहीं होती।
उन्होंने कहा कि इंसान के अच्छे कर्म ही उसे परमात्मा की राह की ओर ले जाते हैं। जो लोग अपने मन में द्वेष, दूसरों की बुराई, चुगली व निंदा की भावना रखते हैं, भगवान उनसे दूरी बना लेते हैं। ऐसे इंसान बुराई की ओर अग्रसर हो जाते हैं। उन्होंने अपने शिष्यों को नशे, हिंसा, कन्याभू्रण हत्या जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लडऩे का आह्वान करते हुए कहा कि यदि हमारे आसपास का समाज स्वच्छ है तो ही कोई व्यक्ति स्वच्छ रह सकता है।
इस अवसर पर कीर्तन और भंडारे का आयोजन भी किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। प्रवचन व कीर्तन के उपरांत श्रद्धालुओं को नामदान भी दिया गया। इस अवसर पर गुरदयाल सिंह दयाली, सुखदेव सिंह, सुखविंद्र सिंह, सुरेश चंडीगढ़, संजीव रोपड़, दर्शन सिंह गोविंदगढ़, संजीव कौशल बद्दी, दीपक कुमार, अशोक, सुमंत, बलदेव, बिहारी लाल, मिनाक्षी, रामपति, शांति ठाकुर, ब्यासा देवी, सुमन, रज्जी, भाटिया समेत प्रदेश व पड़ोसी राज्यों के हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।
गुरू जी के शिष्य गुरदयाल सिंह दयाली ने बताया कि राम दरबार रंगूवाल में वितरित किए जाने वाले पावन जल से हर प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है तथा हर रविवार को दरबार में भंडारे का आयोजन किया जाता है।