शिमला। प्रदेश में पंचायती राज चुनाव निपटते ही बागीचों पर फिर से तीखे हमले शुरू हो जाने से किसान व बागवान आंदोलित हो उठे हैं। पंचायती राज चुनावों से पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आश्वासन दिया था कि सरकारी भूमि पर किसानों के कब्जों को नियमित करने के लिए नीति बनाई जाएगी और हरे भरे बागीचों को नहीं काटा जाएगा। लेकिन चुनाव निपटते ही किसानों पर हमले फिर से तोज हो गए हैं। धड़ाधड़ बागीचे नष्ट किए जा रहे हैं और किसानों को भूमि से बल पूर्वक बेदखल किया जा रहा है। हिमाचल किसान सभा और राज्य सेब उत्पादक संघ ने इसे सरकार की वादा खिलाफी करार देते हुए 72 दिनों तक प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है। दोनों संगठनों ने रविवार को शिमला में किसानों के अधिवेशन में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया।
अधिवेशन में प्रस्ताव रखते हुए हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष डा. कुलदीप तंवर ने कहा कि भूमि से किसानों की बेदखली के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार किसानों और बागबानों को गुमराह कर रही है। मुख्यमंत्री के बार-बार आश्वासन के बावजूद गरीब, दलित किसानों के सेब के पेड़ काटे जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के सारे आश्वासन सिर्फ पंचायती राज चुनावों में जनता के वोट हासिल करने के लिए ही थे। चुनाव खत्म होते ही सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने आ गया है।
राज्य सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष राकेश सिंघा ने कहा कि शिमला और कुल्लू जिला के कई गरीब किसानों के हजारों पेड़ों पर वन विभाग ने आरी चला दी है। सरकार गरीबों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। प्रदेश के किसान इसे और सहन नहीं करेंगे। सरकार के खिलाफ जबरदस्त संघर्ष छेड़ा जाएगा।
राकेश सिंघा ने बताया कि 72 दिनों तक किसान व बागबान प्रदेश भर में आंदोलन चलाएंगे। चार अप्रैल को उपमंडल, खंड, तहसील स्तर पर तथा वन विभाग और राजस्व विभाग के कार्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। तीन- चार मई को प्रदेश सचिवालय पर महाधरना होगा।