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हल्द्वानी। गरीबों के उत्थान के नाम पर बड़े शोर शराबे के साथ शुरू होने वाली योजनाएं रास्ते में जाने कहां गुम हो जाती है? यह सवाल पिछले कई दशकों से आम जनता की ओर से पूछा जा रहा है। योजनाएं चाहे राष्ट्रीय हों या प्रादेशिक, सभी का प्रचार तो खूब होता है, लेकिन उनका लाभ पात्र लोगों तक पहुंचता नजर नहीं आता। इसकी एक दिलचस्प वानगी उत्तराखंड में गरीब बेघरों को आवास का झुनझुना दिखाने वाली एक योजना है, जिसके लिए वर्ष 2011 से कार्यवाही चल रही है, लेकिन सत्ता की अंधेरी सुरंग से यह बाहर निकलने का नाम नहीं ले रही।
उत्ताखंड में वर्ष 2011 में शहरी और ग्रामीण गरीब बेघरों को इंदिरा आवास योजना के तहत आवास देने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसमें ऐसे लोगों को लाभान्वित किया जाना था, जो बीपीएल के साथ भूमिहीन भी थे। सत्ता के गलियारों में वर्ष 2011 से घूम रही संबंधित फाइल पर पिछले दिनों पंचायतों को निर्देश मिले कि ग्राम सभाओं में पात्र लोगों के फार्म भरवाकर 20 जनवरी तक ब्लॉक कार्यालय में जमा करवाए जाएं। इससे पात्र गरीबों को कुछ भरोसा हुआ कि देर से ही सही चलो कुछ तो काम आगे बढ़ा। पंचायत प्रतिनिधि और पात्र लोग सरकारी फार्मों का इंतजार करते रहे, लेकिन उनका अभी तक भी कोई अतापता नहीं है। और अब तो फार्म जमा करने की तिथि भी समाप्त हो गई। लोगों ने ब्लॉक कार्यालय में पता किया तो बताया गया कि अभी तक फार्म वहां भी नहीं पहुंचे हैं। फार्म जमा होने के बाद प्रशासन ने पात्र लोगों के बारे में फैसला लेना था, लेकिन वहां तो इस बारे में कोई हलचल तक नहीं है।
गौजाजाली (उत्तर) के ग्राम प्रधान रश्मि मठवाल ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से इस बारे में बात की तो कहीं से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। कुछ लोग कह रहे हैं कि इस योजना के लिए अब गांवों में खुली बैठकें की जाएंगी। प्रधान ने आशंका जताई है कि सरकार ने अपनी मर्जी से पात्र लोगों की सूची तैयार कर ली है। इसीलिए ग्राम सभाओं को नजरंदाज किया गया और अब खुली बैठकों की औपचारिकताएं निभाई जाएंगी। यदि ऐसा हुआ तो यह ना केवल ग्राम संभाओं की अवहेलना होगी, बल्कि योजना का लाभ भी केवल चहेते लोगों को ही मिलेगा। लोग इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
एडीओ, पंचायत मान सिंह वोहरा से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने भी कहा कि फार्म जमा करने की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी है, लेकिन अभी तक ब्लॉक कार्यालय में भी फार्म नहीं आए हैं। पात्रों की सूची भी प्राप्त नहीं हुई है और न ही इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना ही दी गई है।