बद्दी। इसे औद्योगिक मंदी का दौर कहें या प्रदेश में औद्योगिक पैकेज की समाप्ति का असर या फिर कुछ और….। प्रदेश के सबसे बड़े
बीबीएन में औद्योगिक प्लाटों के दामों में इतनी भारी गिरावट आएगी, ऐसा किसी ने शायद सोचा भी नहीं होगा। यहां 500 वर्ग मीटर के औद्योगिक प्लाट 50 लाख रुपये या इससे अधिक में बिकते रहे हैं, लेकिन वीरवार को हुई नीलामी में इस बाजार की तो जैसे हवा ही निकल गई। बद्दी के शहरी क्षेत्र में जो मात्र तीन प्लाट बिके भी हैं, उनकी औसत कीमत मात्र 25 लाख रुपये प्रति प्लाट ही रही। यहां बोलीदाताओं ने रिजर्व प्राइस के कुछ ही ऊपर बोली की और प्लाट उन्हें मिल गए। प्रदेश सरकार और औद्योगिक विकास निगम के लिए इसे एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने उद्योगपतियों को लुभाने के लिए यहां अनेक तरह की रियायतें भी दी हैं। उद्योग निगम द्वारा विकसित प्लाटों को खरीदने के लिए उद्योगपतियों को अब धारा 118 की प्रक्रिया से भी नहीं गुजरना पड़ता है, लेकिन फिर भी नए औद्योगिक घराने प्रदेश में दस्तक देने को तैयार नहीं हैं।
लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष राजीव कंसल का इस बारे में कहना है कि प्रदेश में उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार को तुरंत कोई बड़े पैकेज की घोषणा करनी चाहिए और प्रदेश सरकार को भी उद्योगों के संरक्षण के लिए कारगर नीति बनानी चाहिए।
हालांकि बीबीएन उद्योग संघ अभी भी निराश नहीं हुआ है। संघ के प्रधान राजेंद्र गुलेरिया और महामंत्री ठाकुर यशवंत सिंह कहते हैं कि वीरवार की बोली सिर्फ लघु उद्योगों के लिए थी और बिक्री के लिए छोटे प्लाट ही थे। इसमें पहले से कार्यरत या अपना पुराना उद्योग एक्सटेंड करने वाले ही शामिल होते है, जबकि बड़े निवेशकों को सौ बीघा से ज्यादा की जगह चाहिए होती है। राजेंद्र गुलेरिया ने कहा कि हिमाचल में अब वर्धमान और टीवीएस जैसे बड़े निवेशक आ रहे हैं, जिससे साबित होता है कि प्रदेश का आकर्षण समाप्त नहीं हुआ है।