देहरादून। उत्तराखंड में ठीक चुनावी वर्ष में उभरी राजनीतिक अस्थिरता का लाभ लेने के लिए दलों में होड़ मच गई है। कांग्रेस और भाजपा कुर्सी के खेल में बुरी तरह उलझी होने के कारण युनाइटिड क्रांति दल (यूकेडी) और आम आदमी पार्टी (आप) सियासी आधार मजबूत करने के लिए खुलकर मैदान में कूद पड़ी हैं। यूकेडी ने राज्य भर में ‘उत्तराखंड बचाओ- उत्तराखंड बसाओ’ यात्रा निकालने का निर्णय लिया है तो आम आदमी पार्टी भी 15 अप्रैल से ‘उत्तराखंड बचाओ’ यात्रा शुरू करने जा रही है।
उधर, हरीश रावत सरकार के नौ बागी विधायक भी अपना अनिश्चित भाविष्य देखते हुए रावत सरकार की पोल खोलने के लिए अभियान छेड़ने की योजना बना रहे हैं। नैनीताल हाईकोर्ट ने मंगलवार को बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के स्पीकर के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को रखी गई है। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव आयोग बागी विधायकों की सीटों को रिक्त घोषित कर सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा ने आंदोलन की मंशा जाहिर करते हुए कहा कि नौ बागी विधायक किसी क्षेत्र विशेष के नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के हैं तथा इन्होंने माफियाओं से घिरी सरकार से जनता को मुक्ति दिलाई है। वे शीघ्र ही रावत सरकार की पोल खोलने के लिए राज्यव्यापी यात्रा निकालेंगे।
उत्तराखंड में एक वर्ष के बाद पंजाब के साथ विधानसभा के चुनाव होने हैं। ठीक ऐसे समय में कांग्रेस सरकार के नौ विधायकों ने विपक्षी दल भाजपा के साथ खड़े होकर अस्थिरता पैदा कर दी। गत 18 मार्च को स्पीकर ने बागी विधायकों की सदस्यता निरस्त कर दी तो केंद्र सरकार ने धारा 356 का इस्तेमाल करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। अब यह मामला अदालत में विचाराधीन है। अदालत में सुनवाई की तिथियां आगे से आगे बढ़ती जा रही हैं, लेकिन साथ ही चुनाव का समय निकट आता जा रहा है।
आम आदमी पार्टी और यूकेडी के पास राज्य में कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ प्रचार के लिए ढेरों मुद्दे हैं। भ्रष्टाचार के बाद राज्य की बड़ी समस्या पहाड़ी क्षेत्रों से रोजगार की तलाश में बड़े पैमाने पर पलायन है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस समय राज्य में तीन हजार गांव पूरी तरह वीरान हुए पड़े हैं। अन्य क्षेत्रों में भी हजारों घर ऐसे हैं, जिनमें झाड़ियां उग चुकी हैं। वहां वर्षों से कोई नहीं रह रहा। इसीलिए यूकेडी ने अपने आंदोलन का नारा- ‘उत्तराखंड बचाओ- उत्तराखंड बसाओ’ दिया है।
फिलहाल यूकेडी और आप का उत्तराखंड में बहुत सीमित आधार है। यूकेडी के पास इस समय विधानसभा में मात्र एक सदस्य है। आप को तो राज्य में अभी शुरुआत करनी है, लेकिन दिल्ली में शानदार जीत के बाद उसे पंजाब और उत्तराखंड से काफी उम्मीदें हैं।
उत्तराखंड की 71 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 36, भाजपा के पास 28, बसपा के पास दो विधायक तथा यूकेडी का एक विधायक हैं। इसके अतिरिक्त तीन विधायक निर्दलीय और एक विधायक मनोनीत हैं। बहुमत के लिए 36 विधायकों की जरूरत है। लेकिन यदि कांग्रेस के बागी 9 विधायक दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित मान लिए जाते हैं तो बहुमत के लिए कुल 31 विधायकों की ही जरूरत पड़ेगी। मुख्यमंत्री हरीश रावत 34 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं।