देहरादून। उत्तराखंड में बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं में कुपोषण की समस्या गंभीर रूप धारण करती जा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में पांच वर्ष तक की आयु के 60 प्रतिशत बच्चे एनीमिया (खून की कमी) से ग्रसित हैं। इसी प्रकार 42.4 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं और 50.1 प्रतिशत धात्री महिलाएं भी खून की कमी से जूझ रही हैं।
स्वास्थ्य महानिदेशालय में गत दिवास एनीमिया की जांच, उपचार और बचाव पर आधारित टी-3 शिविर का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन निदेशक सोनिका ने शिविर का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं में कुपोषण एक गंभीर चुनौती है। बच्चों और महिलाओं में पोषण के लिए खानपान पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। प्रदेश में 15 से 19 आयु वर्ग में 20 प्रतिशत किशोर और 42.4 प्रतिशत किशोरियों एनीमिया से पीड़ित हैं।
एनएचएम निदेशक डॉ. सरोज नैथानी ने बताया कि प्रदेश के हर जिले में एनीमिया टेस्ट, ट्रीट और टॉक शिविर आयोजित किए जाएंगे। अस्पतालों, कार्यालयों व सार्वजनिक स्थानों पर हीमोग्लोबिन की निशुल्क जांच की जाएगी। इसके लिए विभाग की ओर से डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर खरीदे जा रहे हैं। इससे सैंपल के 25 सेकेंड में हीमोग्लोबिन जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। सभी जिलों को शिविर लगाने के बारे में आदेश जारी किया गया है।
स्वास्थ्य महानिदेशालय में आयोजित शिविर में 272 कर्मचारियों और अधिकारियों के हीमोग्लोबिन जांच की गई, जिसमें 12 पुरुष और 25 महिलाएं एनीमिया से ग्रसित पाए गए। एनीमिया से प्रभावित लोगों को बचाव की सलाह देने के साथ ही आईएफए की गोलियां वितरित की गईं।