पश्चिमी तमिलनाडु के इरोड में एक सम्पन्न, परम्परावादी हिन्दू परिवार में जन्में ई.वी. रामास्वामी (17 सितम्बर, 1879- 24 दिसम्बर, 1973) बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक क्रांतिकारी राजनेता थे। पेरियार के नाम से विख्यात ई. वी. रामास्वामी का तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्यों पर आज भी इतना गहरा असर है कि कम्युनिस्ट से लेकर दलित आंदोलन विचारधारा, तमिल राष्ट्रभक्त से तर्कवादियों और नारीवाद की ओर झुकाव वाले सभी उनका सम्मान करते हैं, उनका हवाला देते हैं और उन्हें मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं। पेरियार ने ताजिंदगी हिंदू धर्म और ब्राह्मणवाद का जमकर विरोध किया। उन्होंने तर्कवाद, आत्म सम्मान और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर जोर दिया। जाति प्रथा का घोर विरोध किया। यूनेस्को ने अपने उद्धरण में उन्हें ‘नए युग का पैगम्बर, दक्षिण पूर्व एशिया का सुकरात, समाज सुधार आन्दोलन का पिता, अज्ञानता, अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ का दुश्मन’कहा।
प्रस्तुत है पेरियार के 20 क्रांतिकारी विचार-
1. नास्तिकता मनुष्य के लिए कोई सरल स्थिति नहीं है। ईश्वर की सत्ता स्वीकार करने के लिए किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दृढ़ विश्वास की जरूरत पड़ती है। यह स्थिति उन्हीं लोगों के लिए संभव हैं जिनके पास तर्क और बुद्धि की शक्ति हो।
2. आप धार्मिक व्यक्ति से किसी भी तर्कसंगत विचार की उम्मीद नहीं कर सकते। वह पानी में लंबे समय से पत्थर मार रहा है।
3. मैंने सब कुछ किया। मैंने सभी देवी- देवताओं की मूर्तियां तोड़ डालीं। सभी की तस्वीरों को जला दिया। मेरे ये सब करने के बाद भी मेरी सभाओं में मेरे भाषण सुनने के लिए यदि हजारों की संख्या में लोग आते हैं तो इसका मतलब है कि जनता जागृत हो रही है, उसे स्वाभिमान और बुद्धि का अनुभव हो रहा है।
4. शास्त्र, पुराण और उनमें दर्ज देवी- देवताओं में मेरी कोई आस्था नहीं है, क्योंकि वे सारे के सारे दोषी हैं। मैं जनता से उन्हें जलाने और नष्ट करने की अपील करता हूं।
5. ब्राह्मण हमें अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है, जबकि वो खुद आरामदायक जीवन जी रहा है। अछूत कहकर तुम्हारी निंदा करता है। मैं आपको सावधान करता हूं कि उनका विश्वास मत करो।
6. सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं तो अकेले ब्राह्मण उच्च व अन्य को नीच कैसे ठहराया जा सकता है?
7. आप अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई क्यों इन मंदिरों में लुटाते हो। क्या कभी ब्राह्मणों ने इन मंदिरों, तालाबों या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान किया?
8. न कोई देवी है न कोई देवता है। जिसने इनका अविष्कार किया वह धूर्त है। वह जो भगवान का प्रचार करता है एक बदमाश है। वह जो भगवान की पूजा करता है वह मूर्ख है।
9. अगर देवता ही हमें निम्न जाति बनाने का मूल कारण है तो ऐसे देवता को नष्ट कर दो, अगर धर्म है तो इसे मत मानों, अगर मनुस्मति, गीता, या अन्य कोई पुराण आदि है तो उन्हें जलाकर राख कर दो। अगर ये मंदिर या त्यौहार हैं तो इनका बहिष्कार कर दो। यदि हमारी राजनीति ऐसा करती है तो उसका खुले रूप में पर्दाफाश करो।
10. ‘द्रविड़ कड़गम आंदोलन’ का लक्ष्य है इस आर्य ब्राह्मणवादी और वर्ण व्यवस्था का अंत कर देना, जिसके कारण समाज ऊंच और नीच जातियों में बांटा गया है। यह आंदोलन उन सभी शास्त्रों, पुराणों और देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखता, जो वर्ण तथा जाति व्यवस्था को जैसे का तैसा बनाए रखे हैं।
11. ब्राह्मणों ने हमें शास्त्रों और पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है। उसने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की।
12. हमारा देश तभी आजाद समझा जाएगा, जब ग्रामीण लोग देवी- देवता, धर्म- अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जाएंगे।
13. विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर अंतरिक्ष यान भेज रहे हैं, जबकि हम श्राद्धों में ब्राह्मणों के द्वारा परलोक में बसे अपने पूर्वजों को चावल और खीर भेज रहे हैं। क्या यह बुद्धिमानी है?
14. ब्राह्मण देवी-देवताओं को देखो, एक देवता हाथ में भाला, त्रिशूल उठाकर खड़ा है तो दूसरा धनुष बाण। अन्य दूसरे देवी-देवता कोई गुर्ज, खंजर और ढाल के साथ सुशोभित हैं। यह सब क्यों है? यह किसको मारने के लिए है?
15. उन देवताओं को नष्ट कर दो जो तुम्हें शुद्र कहे, उन पुराणों और इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवता को शक्ति प्रदान करते हैं। उस देवता की पूजा करो जो वास्तव में दयालु भला और बौद्धगम्य है।
16. संसार का अवलोकन करने पर पता चलता है कि भारत जितने धर्म और मत मतान्तर कहीं भी नहीं हैं। यही नहीं इतने धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन) दूसरी जगह कहीं भी नहीं हुए हैं। यह इसलिए कि निरक्षर और गुलाम प्रवृति के कारण भारतीयों का धार्मिक शोषण करना आसान है।
17. आर्यों ने हमारे ऊपर अपना धर्म थोपकर, असंगत, निर्थक और अविश्वनीय बातों में हमें फांसा। अब हमें इन्हें छोड़कर ऐसा धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए जो मानवता की भलाई में सहायक सिद्ध हो।
18. ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की।
19. सभी मानव एक हैं, हमें भेदभाव रहित समाज चाहिए। हम किसी को प्रचलित सामाजिक भेदभाव के कारण अलग नहीं कर सकते।
20. समय बदल रहा है, ब्राह्मणों को नीचे आना होगा, तभी वे आदर से रह पायेंगे, नहीं तो एक दिन उन्हें बलपूर्वक और देशाचार के अनुसार ठीक होना होगा।
प्रस्तुति- एचएनपी सर्विस