नैनीताल। उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षण व्यवस्था चरमरा जाने के कारण सरकारी स्कूलों के बंद होने का सिलसिला
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दस से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को बंद कर वहां अध्ययनरत बच्चों को आवासीय स्कूलों में शिफ्ट कर समस्या के समाधान का फार्मूला सुझाया है। इस फार्मूले के क्रियान्वयन के बाद कुमाऊं में 107 सरकारी विद्यालय अतीत का हिस्सा बन जाएंगे।
दरअसल नब्बे के दशक में शुरू जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम एवं सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत शिक्षा विभाग ने सियासी आधार पर बजट खपाने के लिए गली-मोहल्लों में तक में धड़ाधड़ प्राथमिक स्कूल खोल दिए थे, लेकिन व्यवस्था शिक्षण व्यवस्था की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। शिक्षकों की कमी, बंकबाजी और निजी शिक्षण संस्थानों के आकर्षण के कारण अभिभावकों का सरकारी विद्यालयों से मोहभंग होता चला गया। परिणास्वरूप आज जहां पब्लिक स्कूलों में एडमिशन के लिए मारामारी है, वहीं सरकारी स्कूल तमाम प्रयासों के बावजूद छात्र संख्या नहीं बढ़ा पा रहे हैं।
मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव (शिक्षा) एस राजू ने भी स्वीकार किया है कि हाल ही में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विभागीय समीक्षा बैठक में दस से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को बंद करने को कहा है और वहां के बच्चों को आवासीय विद्यालयों में शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने इस संबंध में तैयारी शुरू कर दी है।
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