शिमला। नगर निगम शिमला में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के कारण सत्ता का संतुलन निर्दलीय उम्मीदवारों के हाथ में आ गया है। कुल 34 सीटों वाली नगर निगम में भाजपा 17 समर्थित उम्मीदवार जीता कर साधारण बहुमत तक तो पहुंच गई, लेकिन पूर्ण बहुमत के लिए उसे भी एक निर्दलीय पार्षद के सहयोग की आवश्यकता है। उधर, कांग्रेस समर्थित 13 सदस्य ही चुनाव जीत पाए, जबकि सीपीआईएम के खाते में एकमात्र समरहिल वार्ड की ही सीट आई है। शेष तीन सीटों में दो कांग्रेस के बागी और एक भाजपा का बागी सदस्य जीत कर आए हैं। निगम के लिए कल 16 जून को मतदान हुआ था।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम में इस बार पार्टी चिन्हों पर चुनाव नहीं हुए, इसलिए सभी विजयी पार्षदों पर दलबदल कानून लागू नहीं होता है तथा वे किसी भी दल का समर्थन करने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे में निगम पर कब्जा पाने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका भी बढ़ गई है। यानी जिस भी दल के पास अधिक पार्षदों को रिझाने की झमता होगी, वह निगम पर कब्जा जमा सकता है।
वैसे भाजपा यहां सत्ता के सबसे अधिक नजदीक है। भाजपा समर्थित 17 पार्षदों के साथ यदि पंथाघाटी से विजयी पार्टी का बागी प्रत्याशी राकेश सहयोग के लिए तैयार हो जाता है तो निगम पर भाजपा का कब्जा आसानी से हो सकता है। उधर, कांग्रेस के पास 13 समर्थित पार्षद हैं। उसे एक सीपीआईएम और तीन निर्दलियों का सहयोग मिल जाता है तो कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास बराबर 17- 17 पार्षद हो जाएंगे। ऐसे में कांग्रेस को बहुमत के लिए भाजपा के खेमे में सेंध लगानी पड़ेगी।
शिमला नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के मध्य कांटे का मुकाबला हुआ। शनिवार को मतगणना के दौरान अंत तक संशय बना रहा कि कौन सा दल अधिक सीटें जीतेगा। हालांकि भाजपा आरंभ से ही लीड करती रही, लेकिन बीच में एक समय ऐसा भी आया जब दोनों दलों की सीटें बराबर हो गईं। अंतिम समय में भाजपा ने बढ़त तो ली, लेकिन पूर्ण बहुमत तक नहीं पहुंच पाई।
उल्लेखनीय है कि शिमला नगर निगम पर आज तक भाजपा कभी भी कब्जा नहीं कर पाई है। इस पर बीते कार्यकाल में मात्र एक बार सीपीआईएम का कब्जा हुआ था। इससे पूर्व निगम पर कांग्रेस ही काबिज होती रही है। इस बार पहला मौका है जो भाजपा कुर्सी के इतने नजदीक पहुंची है।