बद्दी। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी- बरोटीवाला- नालागढ़ (बीबीएन) पर जीएसटी का जिन्न भारी पड़ता नजर आ रहा है। इससे जहां औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट आई है, वहीं एक बार फिर से कामगारों की छंटनी का दौर शुरू हो गया है। उद्योगों पर नोटबंदी के बाद यह दूसरा बड़ा झटका है।
देशभर में जीएसटी पहली जुलाई से लागू हो जाएगा, लेकिन हिमाचल जैसे एक्साइज फ्री राज्य में अभी तक भी यह स्पष्ट नहीं है कि यहां जीएसटी को किस तरह लागू किया जाएगा। क्या उद्योगों को मिल रही रियायतें बरकरार रहेंगी? कहा जा रहा है कि जीएसटी आने पर उद्योगों को पहले पूरा टैक्स भरना पड़ेगा, उसके बाद आवेदन करने पर करों में छूट को रिफंड किया जाएगा। आमतौर पर इस तरह की प्रक्रियाएं बहुत पेचीदा होती हैं तथा इसमें विभागीय भ्रष्टाचार की आशंकाएं बनी रहती हैं। उद्योगपति इस तरह के पचड़ों में नहीं पड़ना चाहते हैं।
बीबीएन में इसी तरह की आशंकाओं के बीच औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट की खबरें हैं तथा यहां एक बार फिर से मंदी का दौर छा गया है। इस समय ज्यादातर उद्योग अपना पुराना स्टॉक क्लीयर करने में लगे हैं। नए उत्पादन में भारी कटौती की जा रही है। ज्यादातर व्यापारी भी नया स्टाक लेने से कतरा रहे हैं। रिटेलर, व्होलसेलर, डिस्ट्रीब्यूटर नया स्टॉक नहीं रखना चाह रहे हैं, क्योंकि इसमें जीएसटी का पेंच फंसा हुआ है।
कामगारों की छंटनीः बीबीएन में एक बार फिर से कामगारों की धड़ाधड़ छंटनी शुरू हो गई है। कांट्रेक्ट लेबर में 50 प्रतिशत तक कटौती की जा रही है, जबकि अस्थाई कामगारों ने तो काम नहीं मिलने पर घर वापसी की तैयारियां शुरू कर दी हैं। बीबीएन उद्योग संघ के अध्यक्ष शैलेश अग्रवाल और पूर्व अध्यक्ष अरुण रावत ने कहा कि अभी तक जीएसटी के रेट ऑफ टेक्सेशन के नियम पूरी तरह अस्पष्ट बने हुए हैं। उद्योगपतियों में असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए संघ कई सेमिनार भी आयोजित कर चुका है, लेकिन उद्योगपति अभी भी आशंकित हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष नवंबर माह में लागू नोटबंदी के समय भी बाजार में मांग घट जाने के कारण उद्योगों को उत्पादन बंद करना पड़ गया था। अब जीएसटी का जिन्न उद्योगों पर काले साये की तरह मंडरा रहा है। उद्योगों पर छह माह के भीतर यह दूसरा बड़ा झटका है। पिछले कुछ ही समय में यहां सैकड़ों उद्योग पलायन कर चुके हैं तथा बड़ी संख्या में उद्योग पलायन की तैयारी कर रहे हैं।