शिमला। नगर निगम शिमला पर अंततः भाजपा का कब्जा हो ही गया। भाजपा समर्थित कुसुम सदरेट महापौर चुन ली गईं, जबकि उप महापौर पद पर राकेश शर्मा चुने गए। राकेश शर्मा पंथाघाटी में भाजपा समर्थित प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़े व जीते थे। निगम के निवर्तमान महापौर संजय चौहान (सीपीआई-एम) और उप महापौर टिकेंद्र पंवर(सीपीआई-एम) ने नए महापौर और उपमहापौर का स्वागत किया।
शिमला नगर निगम के लिए गत 16 जून को हुए चुनाव में भाजपा ने कुल 34 में से 17 सीटों पर समर्थित प्रत्याशियों को जिता कर साधारण बहुमत प्राप्त कर लिया था और पूर्ण बहुमत के लिए पार्टी के एक बागी पार्षद राकेश शर्मा का भी उसे समर्थन मिल गया था। उधर, कांग्रेस समर्थित केवल 13 पार्षद ही जीत पाए थे तथा उसे पार्टी से बगावत कर लड़े दो पार्षदों और सीपीआईएम की एक पार्षद के समर्थन की उम्मीद थी। लेकिन सोमवार को शपथ ग्रहण के समय तक जब कच्चीघाटी वार्ड से विजयी कांग्रेस के बागी पार्षद संजय परमार भी विपक्षी खेमे में जा बैठे तो भाजपा समर्थित पार्षदों की संख्या 19 तक पहुंच गई। यही नहीं सीपीआई-एम की एकमात्र पार्षद शैली शर्मा ने किसी भी पार्टी के पक्ष में मतदान से इनकार कर दिया।
सोमवार को कांग्रेस समर्थित पार्षदों के सदन से उठ कर चले जाने से मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं हो सका था। कुछ कांग्रेस नेताओं को उम्मीद थी कि मंगलवार तक पार्टी के पक्ष में कुछ तस्वीर बदलेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
मंगलवार को महापौर के लिए भाजपा की कुसुम सदरेट और उपमहापौर के लिए राकेश शर्मा तथा कांग्रेस की ओर से महापौर पद के लिए सिम्मी नंदा व उप महापौर पद के लिए आनंद कौशल ने पर्चे भरे और फिर मतदान कराया गया। उम्मीद के अनुरूप भाजपा के प्रत्याशियों को 19- 19 मत मिले और कांग्रेस प्रत्याशियों को 14-14 मतों से ही संतोष करना पड़ा। माकपा पार्षद ने किसी भी दल के पक्ष में मतदान नहीं किया।