शिमला। प्रदेश में साहित्यकारों को शायद अरसे बाद कोई सुकून भरा अहसास हुआ है। कुल्लू के ढालपुर में स्थित पुस्तकालय भवन जीर्णोद्धार के बाद विभिन्न सुविधाओं के साथ आपकी सेवा में समर्पित है। सरकार ने बजट उपलब्ध कराया और एक साहित्य प्रेमी अधिकारी ने अपनी कल्पनाओं के रंग भरे….। साहित्यिक पत्रिका विपाशा के पूर्व संपादक तुलसी रमन की टिप्पणी गौर करने लायक है, ‘‘कुल्लू के जिलाधीश राकेश कंवर ने ज़िला पुस्तकालय को जो नया रूप दिया है, वह अपने आप में एक मिसाल है। देवताओं के रथ उठाने से फुर्सत पाकर अब लोग इस पुस्तकालय की ओर भी आकर्षित हो सकते हैं।’’
जिला पुस्तकालय में अब 40,000 के करीब पुस्तकें उपलब्ध हैं। आप पूरे परिवार के साथ पुस्तकालय में आ सकते हैं। बच्चों के लिए अलग कक्ष है। चाहें तो बच्चों को वहीं बिठा कर होमवर्क करा लें। आप आरामदायक कुर्सी पर बैठ कर पढ़ना लिखना चाहें या फिर फर्श पर पसर कर, सुविधाएं उपलब्ध हैं। पसंदीदा पुस्तकें खरीदने के लिए भी काउंटर उपलब्ध है। पढ़ते-पढ़ते ऊब गए हों तो शतरंज, कैरम या ताश में हाथ आजमाएं। खान पान के लिए कैफे की भी सुविधा है। यानी साहित्यिक गप्प गोष्ठी के लिए एक आदर्श स्थान।
कुल्लू में पहाड़ी और गोथिक वास्तु शैली में निर्मित यह पुस्तकालय भवन पिछले कई वर्षों से जीर्णशीर्ण हालत में था। इसमें न केवल किताबों की कमी थी, बल्कि लोगों के लिए बैठने की सुविधा भी न के बराबर थी। पुस्तकालय के शौचालय की हालत तो इतनी खस्ता थी कि कोई चाह कर भी इसका प्रयोग नहीं कर पाता था। छत से वर्षा का पानी अंदर टपकता रहता था। इसी कारण धीरे-धीरे लोगों ने पुस्कालय में जाना ही छोड़ दिया था।
प्रदेश सरकार ने गत वर्ष पुस्तकालय भवन के जीर्णोद्धार के लिए 70 लाख रुपये का बजट जारी किया था। उपायुक्त राकेश कंवर ने अत्यंत सूझबूझ से बजट खर्च खर्च किया और जनता के सामने नई तस्वीर पेश कर दी। हालांकि राकेश कंवर की योजनाओं में इस भवन में पाठकों के लिए डिजिटल लाइब्रेरी, कुछ कंप्यूटर और फ्री वाईफाई की सुविधाएं उपलब्ध कराना भी शामिल है। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में यह सुविधाएं भी पाठकों को मिल जाए। लेकिन साहित्य प्रेमी इसी में भी बहुत खुश हैं।
साहित्य प्रेमियों की फेसबुक वॉल पर कुछ टिप्पणियों पर आप भी गौर करें–
ठाकुर सुरेन्द्र सिंह शायद कंवर साहिब अकेले ऐसे ज़िलाधीश होंगे, जिनको पुस्तकालय की महिमा पता है वरना आज तक सारे ये ‘ ईश ‘ केवल बख़्शीश की ही ओर देखते हैं.
Like · Reply · 3 · May 29 at 12:12pm
Awtar Engill Right from day 1, Rakesh Kanwar has shown grit and originality. Let us hope that such officers get a worthy treatment. His conduct during Dussehra celebrations at Kullu was also different than all past DCs there.
Like · Reply · 1 · May 29 at 4:43pm
Subhash Neerav मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे, चर्च बहुत बन लिए। अब स्कूल, पुस्तकाल और अस्पताल बनने चाहिएं।
Like · Reply · 1 · May 29 at 6:00pm
Sameer Kashyap इस बेहतरीन शुरूआत को प्रदेश भर में मिसाल के तौर पर अपनाया जाना चाहिए।
Like · Reply · 2 · May 29 at 8:30pm
Swapnil Srivastava यह प्रेरक प्रसंग है ..काश सभी नौकराशाहों के भीतर इस तरह का भाव होता ..
Like · Reply · 2 · May 29 at 9:08pm
Ramesh Katoch Kanwar sahib swayam ek behter kalakar or sahitya premi hain. Ek kalakar hi samaj ki awashayaktaon ko behter samajh sakta hai. Grand salute to kanwar sahib
Like · Reply · 2 · May 29 at 9:59pm
Karmendu Shishir अधिकारी महोदय को बहुत- बहुत आभार, मनुष्य के भीतर दिल और दिमाग ही सबसे मूल्यवान होता है जो इसकी खुराक की व्यवस्था करे वह मेरी नजर में तो मूल्यवान है ही.आभार
Like · Reply · 2 · May 29 at 10:14pm
Lawan Kumar Thakur rakesh is an excellent officer…he leaves his footprints where ever he goes….
Like · Reply · 1 · May 29 at 10:36pm
Ishwar Dev Bhandari Congrats to Rakesh. Best of luck for such ventures in future as well.
Like · Reply · May 29 at 10:46pm
Badrisingh Bhatia जिला पुस्तकालय के रख रखाव में गुड आफिस कमेटी में जिलाधीश का बहुत बड़ा योगदान होता है। कई जिलाधीश राजनेताओं को खुश करने में समय लगाते हैं तो कई सृजनात्मक गतिविधियों को भी समय देते हैं। राकेश कंवर जी को बधाई और शाबाश तो बनती ही है।
Ajay Kumar वाह जी वाह । वहाँ एक निरंजन देव Niranjan Dev Sharma जी भी है . माहौल बनाने के लिए तत्पर।
Vijay Sharma Shri Rakesh Kanwar is an officer class apart. A man of vision and commited to turn thoughts in to actions.
हैँ और भी हिमाचल मेँ IAS बहुत् अच्छे। कहते हैँ कि कँवर का है अन्दाज़े करम और।।