शिमला। हिमाचल किसान सभा के नेता एवं ठियोग से माकपा के विधायक राकेश सिंघा ने कहा है कि किसानों- बागवानों का संघर्ष वास्तव में मेहनतकश और लुटेरों के बीच का संघर्ष है। जब सरकार ही लुटेरों के साथ खड़ी हो तो मेहनतकश जनता के पास अपने हक के लिए सड़कों पर उतरने के सिवा और कोई रास्ता बचता ही नहीं है। राकेश सिंघा सोमवार को यहां कालीबाड़ी हाल में संयुक्त किसान मंच द्वारा आयोजित किसान संवाद को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कानून जनांदोलन से ही बनते हैं और आज स्थिति यह हो गई है कि पारित कानूनों को लागू कराने के लिए भी आंदोलन की जरूरत पड़ती है अन्यथा कानून कागज का एक टुकड़ा मात्र बन कर रह जाते हैं। श्रमिक पक्ष कमजोर हो तो उसे कोई नहीं पूछता चाहे उसके पक्ष में कितने भी मजबूत कानून क्यों ना बने हुए हों। लुटेरा पक्ष सत्ता पर दबाव बना कर हर कानून को अपने हक में लागू करवा लेता है और पीड़ित पक्ष की कहीं भी कोई सुनवाई नहीं होती।
राकेश सिंघा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में किसानों और बागवानों के पक्ष में पुख्ता कानून (हिमाचल प्रदेश कृषि- बागवानी रेगुलेटरी एक्ट- 2005) है, लेकिन लुटेरे पूंजीपतियों के दबाव के कारण सरकार इन्हें लागूं नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि किसानों- बागवानों से उनके उत्पाद किस प्रकार वजन के हिसाब से खरीदे जाएं, तुलाई की कैसी व्यवस्था होनी हो, खरीदे गए उत्पाद की अदायगी कैसे और कितनी अवधि में होनी चाहिए, उत्पाद की बोली लग जाने के बाद उसमें कोई फेरबदल नहीं होगा आदि की व्यवस्था कानून में हैं। लेकिन क्या इस पर मंडियों में अमल हो रहा है? बिल्कुल नहीं। किसानों- बागवानों से खुली लूट हो रही है।
माकपा विधायक ने कहा कि आज कानून का लागू होना इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों पक्षों की ताकतों का संतुलन किसके पक्ष में है। और जब सरकार ही लुटेरों के साथ खड़ी हो जाए तो पीड़ित पक्ष के लिए लड़ाई और भी कठिन हो जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों- बागवानों का यह आंदोलन सड़क पर लंबी लड़ाई लड़े बिना कामयाब नहीं हो सकता। सबको लंबे संघर्ष के लिए कमर कसनी होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के सीए स्टोर भी बड़े कारोबारियों के हवाले कर दिए हैं, जो अब सेब उत्पादकों से निजी सीए स्टोर वालों से भी अधिक वसूली कर रहे हैं। ये कारोबारी बागवानों से 2 रुपये प्रति किलो प्रति माह के हिसाब से वसूल रहे हैं, जबकि निजी क्षेत्र के सीए स्टोर में डेढ़ रुपये लिए जा रहे हैं। यानी सरकार खुद अपने बागवानों को लुटवाने की व्यवस्था बड़े कारोबारियों के लिए कर रही है।
राकेश सिंघा ने जोर देकर कहा कि सेब का मार्किट क्रैश नहीं हुआ है, इसे क्रैश कराया गया है। सरकार के मंत्री किसानों की नहीं, लुटेरों की भाषा बोल रहे हैं। व्यापारियों को लूट की खुली छूट दे दी गई है। बागवानों से संबंधित सवालों पर सरकार विधानसभा तक में झूठ बोल रही है। उर्वरकों एवं दवाओं पर सब्सिडी इसीलिए समाप्त की गई है ताकि किसानों की जमीन धीरे- धीरे बड़े व्यापारिक घरानों को सौंपी जा सके।