चंबा। चंबा में एनएचपीसी द्वारा संचालित जल विद्युत परियोजना की सुरंग में रिसाव के कारण बेघर हुए ग्रामीणों को सरकार ने शायद भुला ही दिया है।
पीड़ित ग्रामीणों- ललित ठाकुर, रामशरण, जगदीश, कान्हा राम, देवी लाल, मुंशी राम, अशोक कुमार, जीवो देवी, चीनो देवी, राजेंद्र कुमार, करम देव, राजेश कुमार, रामदेई, कौशल्या, राजेंद्र सिंह, अजय बेदी, रोहित गुप्ता और सुरेंद्र कुमार आदि ने मीडिया को बताया कि इस सुरंग में नौ अप्रैल, 2012 से लगातार रिसाव हो रहा है, जिससे मोंखरी, चूड़ी, संगाड़ी और डाकखाना आदि गांवों में कई मकान मलबे में तबदील हो गए हैं। चूड़ी पुल के पास की सभी दुकानें भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिसके चलते लघु उद्योग व ढाबा चलाने वाले लोग बेरोजगार हो चुके हैं। डेढ़ साल का समय गुजर जाने के बावजूद न तो परियोजना प्रबंधन ने प्रभावितों को मुआवजा दिया है और न ही उन्हें स्थायी रूप से रोजगार मिल सका है।
पीड़ित ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे ललित ठाकुर ने मीडिया को बताया कि इस विद्युत परियोजना की सुरंग से लगातार रिसाव जारी है और परियोजना प्रबंधन इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहा। उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ साल पूर्व जब मोंखरी में पहली बार पानी का रिसाव हुआ था तो ग्रामीणों ने आंदोलन छेड़ कर परियोजना प्रबंधन से रिसाव को तुरंत बंद करने की मांग की थी। मगर प्रबंधन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और खतरे की जद में आए ग्रामीणों को अपने घर खाली कर दूसरी जगह शरण लेनी पड़ी। ग्रामीणों ने प्रबंधन से आग्रह किया कि उनकी भूमि का अधिग्रहण कर उन्हें दूसरी जगह भूमि उपलब्ध कराई जाए और साथ ही रोजगार भी दिया जाए। लेकिन प्रबंधन केवल किराये का भुगतान करने को ही राजी हुआ, उन्हें जमीन उपलब्ध करवाने या नौकरी देने के बारे में कोई निर्णय लिया गया। ललित ठाकुर ने बताया कि कंपनी प्रबंधन अब किराये का भुगतान भी समय पर नहीं कर रहा है, जिस कारण ग्रामीणों को भारी परेशानी से जूझना पड़ रहा है।
एचपीसी परियोजना-तीन के महाप्रबंधक एके मल्होत्रा का इस संबंध में कहना है कि भू अधिग्रहण के संबंध में राजस्व रिकार्ड की जांच की जा रही है। कई विभाग इस पर मिलकर काम कर रहे हैं। कंपनी प्रबंधन को पता है कि रिसाव के कारण घर बर्बाद हुए हैं। प्रभावित परिवारों को शिफ्ट भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ तकनीकी कारणों की वजह से किराया जमा करवाने में देर हुई है, इसे जमा करा दिया जाएगा।
एके मल्होत्रा ने यह भी कहा कि रावी नदी में पानी कम ज्यादा होने की वजह से रिसाव हो रहा है। जब तीनों टरबाइनें चलती हैं तो पानी का रिसाव नहीं होता है, लेकिन जब पानी कम हो जाता है और मशीनें बंद रहती हैं तो रिसाव होता है। एनएचपीसी प्रभावित क्षेत्र की जमीन को अपने अधीन ले लेगी।