सोलन। यह मधुमेह के रोगियों ही नहीं बल्कि कृषकों के लिए भी अच्छी खबर है। डा. यशवंत सिंह परमार कृषि एवं
वैसे तो फलों से तैयार होने वाली वाइन में स्वास्थ्य का खजाना छिपा होता है, लेकिन इसमें शुगर की मात्रा अधिक होने के कारण मधुमेह के रोगी इसे नहीं ले सकते। अब यदि करेले से वाइन तैयार होती है तो शुगर रोगी भी इसकी चुस्कियां ले सकेंगे। वैज्ञानिकों ने करेले के कसैले स्वाद को कम करने के लिए इसके जूस को एप्पल व अंगूर के जूस के साथ फर्मेंटेट किया, जिससे अच्छा स्वाद आया। इसमें अढ़ाई से तीन फीसद ही अल्कोहल होता है। दावा किया जा रहा है कि यह वाइन शुगर रोगी के लिए स्वाद व सेहत से भरपूर होगी।
नौणी विवि के फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के एमएससी छात्र नवीन कुमार ने बताया कि करेला शुगर के रोगियों के लिए रामबाण का काम करता है। इसलिए विवि ने शुगर रोगियों के लिए वाइन तैयार करने की दिशा में कार्य आरंभ किया।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में फलों की भरपूर पैदावार के चलते नौणी विवि में वर्ष 1986 से फ्रूट वाइन पर शोध कार्य चल रहा है। यहां प्रदेश में पाए जाने वाले फल- सेब, आड़ू, प्लम, जंगली खुमानी, स्ट्राबेरी और नाशपाती से फ्रूट वाइन तैयार की गई है। इसके अलावा बरमूथ और एप्पल से साइडर विनेगर भी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। फ्रूट वाइन में विटामिन, मिनरल, शुगर पाई जाती है, जिस कारण यह हृदय के रोगियों के लिए लाभकारी है। यह बॉडी में लियोप्रोटीन के घनत्व को बढ़ाता है और एंथ्रोजैनिक एपोप्रोटीन की मात्रा को कम करता है। इसके अलावा वाइन में फिलोलिक तत्व पाए जाते है, जो इसके महत्व को बढ़ाते हैं।
नौणी विश्वविद्यालय में फूड साइंस एंड टेक्नोलाजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीके जोशी, विभागाध्यक्ष ने कहते हैं, ‘नौणी विवि में फलों से विभिन्न प्रकार की वाइन व अन्य उत्पाद तैयार करने के साथ ही अब शुगर के रोगियों के लिए विशेष रूप से करेला वाइन तैयार की जा रही। इसकी तकनीक विकसित कर ली गई है और फाइनल जांच के बाद इस तकनीक को हस्तांतरित किया जाएगा।’