तिब्बत के प्रतिष्ठित बौद्ध धर्मगुरू स्व. खेन रिंपोछे कुंगा वाङ चुक ने क्या किन्नौर जिले के आसरंग में एक बालक के रूप में अवतार ले लिया है, इस बात को लेकर यहां बौद्ध धर्मावलंबियों में जोरदार चर्चा शुरू हो गई है और इस बालक के दर्शनों के लिए गांव में बौद्ध भिक्षुओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। आसरंग में जन्मे इस एक वर्षीय बालक पलदन सिंगे को देख कर डेनमार्क में रह रहे बौद्ध धर्मगुरू खुन्नु नेगी रिंपोछे ने भी संकेत दिया है कि यह तिब्बत के प्रतिष्ठित बौद्ध गुरू स्व. खेन रिंपोछे कुंगा वाङचुक का अवतारी हो सकता है। हालांकि इस पर अंतिम मुहर लगने के लिए बालक को अभी कुछ और प्रक्रियाओं से गुजरना होगा।
उल्लेखनीय है कि बौद्ध धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। मान्यता है कि
बौद्ध धर्मगुरू मरणोपरांत नया अवतार लेते हैं तथा इसकी घोषणा अवतारी बालक एक से तीन वर्ष की आयु में स्वयं पूर्व जन्म की अपनी तस्वीर और अन्य वस्तुओं को पहचान कर करता है।
आसरंग गांव में डुबा रिंपोछे नरेंद्र सिंह नेगी के घर जन्मे पलदन सिंगे नामक एक वर्षीय बालक ने जब बौद्ध गुरू स्व. खेन रिंपोछे कुंगा वाङ चुक की तस्वीर को अपनी तस्वीर के रूप में पहचान की और बौद्ध प्रतिष्ठा में बजाए जाने वाले वाद्यों- दोर्जे व डीलूब को भी बजाना शुरू कर दिया तो परिवारजनों की जिज्ञासा बढ़ गई।
बालक के पिता डुबा रिंपोछे नरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि हाल ही में डेनमार्क से बौद्ध गुरू खुन्नु नेगी रिंपोछे किन्नौर के सुनम स्थित प्राचीन बौद्ध मंदिर में पूजा करने आए थे। उसके बाद वे शिमला जिले के सराहन में श्रद्धालुओं से मिलने के लिए एक होटल ठहरे। श्री नेगी ने बताया कि वे भी बौद्ध गुरू से आशीर्वाद लेने के लिए अपने बालक को लेकर वहां गए थे। वहीं बौद्धगुरू खुन्नु नेगी रिंपोछे ने बालक के चेहरे की चमक और उसे प्रमुख वाद्यों- दोर्जे व डीलूब को सही ढंग से बजाते देख कर संकेत दिया कि यह बालक बौद्ध धर्म गुरू स्व. खेन रिंपोछे कुंगा वाङ चुक का अवतारी हो सकता है।
बताया जाता है कि उसके बाद बालक के बौद्ध धर्म के क्रियाकलापों में अधिक रुचि लेनी शुरू कर दी, जिससे इस बात की संभावना और बढ़ गई है कि यह बौद्धगुरू का अवतारी है।
उल्लेखनीय है कि जनजातीय किन्नौर जिले में पहले भी कई विख्यात बौद्ध गुरुओं ने अवतार के रूप में जन्म लिया है, जिनकी मान्यता पूरे विश्व में हुई। 19वें अवतारी बौद्ध लोचा रिंपोछे का जन्म भी किन्नौर जिले के शलखर नामक स्थान में ही हुआ था। यदि तिब्बत के प्रतिष्ठत बौद्ध धर्म गुरू स्व. खेन रिंपोछे कुंगा वाङ चुक का पलदन सिंगे के रूप में अवतार हुआ है तो किन्नौर में यह एक और ऐतिहासिक घटना होगी। किन्नौर जिले में बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों में इसे लेकर भारी उत्साह है।