चेन्नई। कल्पना कीजिए यदि आपका नाम सामाजवाद, पूंजीवाद, मार्क्सवाद या लेनिनवाद रख दिया जाए तो कैसा रहेगा ? आपके साथी जब इन नामों से पुकारेंगे तो शायद आपको अटपटा लगेगा और आप जरूर झल्ला उठेंगे। लेकिन तमिलनाडु में वामपंथ के एक प्रखर समर्थक ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने तीनों बेटों के नाम कम्युनिज़म, लेनिनिज़म और सोशलिज़म रख दिए। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के समर्पित सदस्य इन ए. मोहन को इस विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। चुनाव जिताने के लिए उनके बेटे भी खूब मेहनत कर रहे हैं।
मोहन और उनका परिवार अपनी विचारधारा जाहिर करने से ना झिझकता है और ना कभी पीछे ही हटता है। पूरे परिवार को अपनी विचारधारा एवं राजनीतिक लाइन पर बहुत गर्व है। ए. मोहन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के समर्पित सदस्य हैं। वे इस विधानसभा चुनाव में सालेम के वीरापंडी से पार्टी के प्रत्याशी भी हैं। राजनैतिक विचारधारा के प्रति उनके समर्पण का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने अपने बेटों का नाम कम्युनिज़म, लेनिनिज़म और सोशलिज़म रखा है।
ए. मोहन (48) का परिवार काफी लंबे समय से वामपंथी विचारधारा में यकीन करता आ रहा है। उनके लिए वामपंथ पारिवारिक परंपरा का दूसरा नाम है। मोहन कहते हैं, ‘मेरे दादा-परदादा भी वामपंथी थे। वामपंथ मेरे खून में है। ऐसे में ये नाम मुझे अपने बेटों के लिए सबसे सटीक लगे।’
मोहन के सबसे बड़े बेटे कम्युनिज़म की उम्र 24 साल है और वे पेशे से वकील हैं। वे पिछले एक साल से वकालत कर रहे हैं। मोहन के बाकी दोनों बेटों- लेनिनिज़म और सोशलिज़म के पास कॉमर्स में स्नातक की डिग्रियां हैं। दोनों मिलकर चांदी की पायल बनाने का छोटा सा कारखाना चलाते हैं। अपने नाम को लेकर कम्युनिज़म को कोई शिकायत नहीं है, बल्कि अपने खास नाम को वे खासा पसंद करते हैं। वे कहते हैं, ‘अगर मैं अपना नाम बताता हूं तो हमेशा ऐसा नहीं होता कि सामने वाला चौंक ही जाए। मेरा नाम काफी अनोखा है और लोग अक्सर मुझसे यह पूछते हैं कि आखिर मुझे यह नाम क्यों दिया गया।’
शायद यही कारण है कि कम्युनिज़म के कई दोस्त हैं। वे बताते हैं, ‘मैं जिन वकील के निर्देशन में काम करता हूं, उन्होंने केवल मेरे खास नाम के ही कारण मुझे अपने साथ काम करने का मौका दिया।’ लेनिनिज़म और सोशलिज़म को भी अपने नाम पर खासा नाज है। उनका कहना है कि उनके नामों से उनके आदर्शों का संकेत मिलता है। यह पहला मौका है जब मोहन को पार्टी ने टिकट दिया है। वे पिछले कुछ हफ्तों से अपने लिए चुनाव प्रचार में जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। इसमें उनके बेटों का भी उन्हें पूरा सहयोग मिल रहा है। उनके बेटे अपने पिता के चुनाव प्रचार के प्रति काफी उत्साहित हैं।
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