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चमोली (गोपेश्वर)। हथेली पर जौ उगाना कोई हमारे अफसरों से सीखे। नौ मन तेल बहा दिया और कह रहे हैं राधा नाचेगी और जरूर नाचेगी…बस! सब्र कीजिए। चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बना स्पोर्ट्स स्टेडियम अधिकारियों के इस हुनर का बेहतरीन उदाहरण है। पांच साल से स्टेडियम में आस्ट्रेलियन घास उगाने का प्रयास किया जा रहा है। अब तक इस पर साढ़े उन्नीस लाख रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन घास नहीं उगी।
जिला खेल अधिकारी राजेश ममगाई भी मानते हैं, ‘घास पूरी तरह नहीं उगी है, जबकि पानी पर्याप्त मात्रा में है। अब हम घास उगाने के लिए मिट्टी की पतली परत बिछा रहे हैं।’ उधर, जिलाधिकारी अशोक कुमार मामले को गंभीर बता रहे हैं। वे कहते हैं, ‘चार से छह माह में घास को उग जाना चाहिए था। वह क्यों नहीं उगी, इसकी जांच की जाएगी।’
वर्ष 1998 में करीब 52 लाख रुपये की लागत से यहां स्पोर्ट्स स्टेडियम का निर्माण कराया गया। मकसद था स्थानीय खेल प्रतिभाओं को निखारने के साथ ही जिला और राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं के लिए स्थान मुहैया कराना। वर्ष 2010 में स्टेडियम के समतलीकरण और मैदान में मखमली घास बिछाने की योजना बनाई गई। इसकी जिम्मेदारी पेयजल निर्माण निगम को सौंपी गई। योजना की कुल लागत थी 29.68 लाख रुपये। इसके लिए देहरादून से आस्ट्रेलियाई घास मंगाई गई और वर्ष 2011 में काम खत्म हो गया।
एक साल बीतने के बावजूद जब घास नहीं उगी तो वर्ष 2012 में खेल विभाग ने निर्माण एजेंसी को पत्र लिख कर शिकायत की। तत्कालीन एसडीएम ने निर्माण एजेंसी से इसका कारण पूछा तो तर्क दिया गया कि पर्याप्त सिंचाई न होने के कारण घास नहीं उग पाई है। इस पर प्रशासन ने 7.72 लाख रुपये और खर्च कर स्टेडियम में पानी की टंकी का निर्माण कराया गया। वर्ष 2013 में टंकी बनकर तैयार हो गई। अब सिंचाई भी की जाने लगी, दो साल बीत गए,लेकिन घास फिर भी नहीं उगी।
इसी साल जनवरी में खेल विभाग ने एक बार फिर निर्माण एजेंसी को पत्र लिखा। कोई जवाब न मिलने पर जून में फिर चिट्ठी भेजी गई। अब पेयजल निगम ने कहा है कि जिन हिस्सों में घास नहीं उगी है, वहां दोबारा घास लगायी जाएगी।