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शहीद पत्रकार गौरी लंकेश का अंतिम संपादकीय..

बेंगलुरु। पत्रकारिता मिशन में जूझते हुए शहीद हुईं गौरी लंकेश अपने ही नाम (गौरी लंकेश

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) से कन्नड़ में एक साप्ताहिक पत्रिका चलाती थीं। गौरी के लिए 13 सितंबर का अंक आखिरी साबित हुआ। इस अंक में उनका संपादकीय फेक न्यूज़ पर आधारित था, जिसका हिंदी में अनुवाद किया गया है। संपादकीय का शीर्षक था- फेक न्यूज़ के जमाने में। प्रस्तुत है उनका अंतिम संपादकीयः

                                                         फेक न्यूज़ के जमाने में…

इस हफ्ते के इश्यू में मेरे दोस्त डॉ वासु ने गोएबल्स की तरह इंडिया में फेक न्यूज़ बनाने की फैक्ट्री के बारे में लिखा है। झूठ की ऐसी फैक्ट्रियां ज़्यादातर मोदी भक्त ही चलाते हैं। झूठ की फैक्ट्री से जो नुकसान हो रहा है, मैं उसके बारे में अपने संपादकीय में बताने का प्रयास करूंगी। अभी परसों ही गणेश चतुर्थी थी। उस दिन सोशल मीडिया में एक झूठ फैलाया गया। फैलाने वाले संघ के लोग थे। ये झूठ क्या है? झूठ ये है कि कर्नाटक सरकार जहां बोलेगी वहीं गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करनी है, उससे पहले दस लाख का डिपाजिट करना होगा, मूर्ति की ऊंचाई कितनी होगी, इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी, दूसरे धर्म के लोग जहां रहते हैं, उन रास्तों से विसर्जन के लिए नहीं ले जा सकते हैं। पटाखे वगैरह नहीं छोड़ सकते। संघ के लोगों ने इस झूठ को खूब फैलाया। ये झूठ इतना जोर से फैल गया कि अंत में कर्नाटक के पुलिस प्रमुख आरके दत्ता को प्रेस बुलानी पड़ी और सफाई देनी पड़ी कि- सरकार ने ऐसा कोई नियम नहीं बनाया है। ये सब झूठ है।

इस झूठ का सोर्स जब हमने पता करने की कोशिश की तो वो जाकर पहुंचा POSTCARD.IN नाम की वेबसाइट पर। यह वेबसाइट पक्के हिन्दुत्ववादियों की है। इसका काम हर दिन फेक न्यूज़ बना बनाकर सोशल मीडिया में फैलाना है। 11 अगस्त को POSTCARD.IN में एक हेडिंग लगाई गई। कर्नाटक में तालिबान सरकार। इस हेडिंग के सहारे राज्य भर में झूठ फैलाने की कोशिश हुई। संघ के लोग इसमें कामयाब भी हुए। जो लोग किसी न किसी वजह से सिद्धारमैया सरकार से नाराज रहते हैं उन लोगों ने इस फेक न्यूज़ को अपना हथियार बना लिया। सबसे आश्चर्य और खेद की बात है कि लोगों ने भी बग़ैर सोचे समझे इसे सही मान लिया। अपने कान, नाक और भेजे का इस्तमाल नहीं किया।

पिछले सप्ताह जब कोर्ट ने राम रहीम नाम के एक ढोंगी बाबा को बलात्कार के मामले में सजा सुनाई, तब उसके साथ बीजेपी के नेताओं की कई तस्वीरें सोशल मीडिया में वायर होने लगीं। इस ढोंगी बाबा के साथ मोदी के साथ साथ हरियाणा के बीजेपी विधायकों की फोटो और वीडियो वायरल होने लगीं। इससे बीजेपी और संघ परिवार परेशान हो गए। इसे काउंटर करने के लिए गुरमीत बाबा के बाजू में केरल के सीपीएम के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के बैठे होने की तस्वीर वायरल करा दी गई। यह तस्वीर फोटोशाप थी। असली तस्वीर में कांग्रेस के नेता ओमन चांडी बैठे हैं, लेकिन उनके धड़ पर विजयन का सर लगा दिया गया और संघ के लोगों ने इसे सोशल मीडिया में फैला दिया। शुक्र है संघ का यह तरीका कामयाब नहीं हुआ क्योंकि कुछ लोग तुरंत ही इसका ओरिजनल फोटो निकाल लाए और सोशल मीडिया में सच्चाई सामने रख दी।

एक्चुअली, पिछले साल तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के फेक न्यूज़ प्रोपेगैंडा को रोकने या सामने लाने वाला कोई नहीं था। अब बहुत से लोग इस तरह के काम में जुट गए हैं, जो कि अच्छी बात है। पहले इस तरह के फेक न्यूज़ ही चलती रहती थी, लेकिन अब फेक न्यूज़ के साथ साथ असली न्यूज़ भी आनी शुरू हो गई हैं और लोग पढ़ भी रहे हैं।

उदाहरण के लिए 15 अगस्त के दिन जब लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण दिया तो उसका एक विश्लेषण 17 अगस्त को ख़ूब वायरल हुआ। ध्रुव राठी ने उसका विश्लेषण किया था। ध्रुव राठी देखने में तो कालेज के लड़के जैसा है, लेकिन वो पिछले कई महीनों से मोदी के झूठ की पोल सोशल मीडिया में खोल देता है। पहले ये वीडियो हम जैसे लोगों को ही दिख रहा था, आम आदमी तक नहीं पहुंच रहा था, लेकिन 17 अगस्त का वीडियो एक दिन में एक लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंच गया। ( गौरी लंकेश अक्सर मोदी को बूसी बसिया लिखा करती थीं, जिसका मतलब है जब भी मुंह खोलेंगे झूठ ही बोलेंगे)। ध्रुव राठी ने बताया कि राज्य सभा में बूसी बसियाकी सरकार ने महीना भर पहले कहा कि 33 लाख नए करदाता आए हैं। उससे भी पहले वित्त मंत्री जेटली ने 91 लाख नए करदाताओं के जुड़ने की बात कही थी। अंत में आर्थिक सर्वे में कहा गया कि सिर्फ 5 लाख 40 हज़ार नए करदाता जुड़े हैं। तो इसमें कौन सा सच है, यही सवाल ध्रुव राठी ने अपने वीडियो में उठाया है।

आज की मेनस्ट्रीम मीडिया केंद्र सरकार और बीजेपी के दिए आंकड़ों को जस का तस वेद वाक्य की तरह फैलाती रहती है। मेन स्ट्रीम मीडिया के लिए सरकार का बोला हुआ वेद वाक्य हो गया है। उसमें भी जो टीवी न्यूज चैनल हैं, वो इस काम में दस कदम आगे हैं। उदाहरण के लिए, जब रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो उस दिन बहुत सारे अंग्रज़ी टीवी चैनलों ने ख़बर चलाई कि सिर्फ एक घंटे में ट्वीटर पर राष्ट्रपति कोविंद के फोलोअर की संख्या 30 लाख हो गई है। वो चिल्लाते रहे कि 30 लाख बढ़ गया, 30 लाख बढ़ गया। उनका मकसद यह बताना था कि कितने लोग कोविंद को सपोर्ट कर रहे हैं। बहुत से टीवी चैनल आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की टीम की तरह हो गए हैं। संघ का ही काम करते हैं, जबकि सच ये था कि उस दिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सरकारी अकाउंट नए राष्ट्रपति के नाम हो गया। जब ये बदलाव हुआ तब राष्ट्रपति भवन के फोलोअर अब कोविंद के फोलोअर हो गए। इसमें एक बात और भी गौर करने वाली ये है कि प्रणब मुखर्जी को भी तीस लाख से भी ज्यादा लोग ट्वीटर पर फोलो करते थे।

आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस तरह के फैलाए गए फेक न्यूज़ की सच्चाई लाने के लिए बहुत से लोग सामने आ चुके हैं। ध्रुव राठी वीडियो के माध्यम से ये काम कर रहे हैं। प्रतीक सिन्हा altnews.in नाम की वेबसाइट से ये काम कर रहे हैं। होक्स स्लेयर, बूम और फैक्ट चेक नाम की वेबसाइट भी यही काम कर रही है। साथ ही साथ THEWIERE.IN, SCROLL.IN, NEWSLAUNDRY.COM, THEQUINT.COM जैसी वेबसाइट भी सक्रिय हैं। मैंने जिन लोगों ने नाम बताए हैं, उन सभी ने हाल ही में कई फेक न्यूज़ की सच्चाई को उजागर किया है। इनके काम से संघ के लोग काफी परेशान हो गए हैं। इसमें और भी महत्व की बात यह है कि ये लोग पैसे के लिए काम नहीं कर रहे हैं। इनका एक ही मकसद है कि फासिस्ट लोगों के झूठ की फैक्ट्री को लोगों के सामने लाना।

कुछ हफ्ते पहले बंगलुरू में ज़ोरदार बारिश हुई। उस टाइम पर संघ के लोगों ने एक फोटो वायरल कराया। कैप्शन में लिखा था कि नासा ने मंगल ग्रह पर लोगों के चलने का फोटो जारी किया है। बंगलुरू नगरपालिका बीबीएमसी ने बयान दिया कि ये मंगल ग्रह का फोटो नहीं है। संघ का मकसद  मंगल ग्रह का फोटो बताकर बंगलुरू का मज़ाक उड़ाना था ताकि लोग यह समझें कि बंगलुरू में सिद्धारमैया की सरकार ने कोई काम नहीं किया, यहां के रास्ते खराब हो गए हैं, इस तरह के प्रोपेगैंडा करके झूठी खबर फैलाना संघ का मकसद था। लेकिन ये उनको भारी पड़ गया था, क्योंकि ये फोटो बंगलुरू का नहीं, महाराष्ट्र का था, जहां बीजेपी की सरकार है।

हाल ही में पश्चिम बंगाल में जब दंगे हुए तो आरएसएस के लोगों ने दो पोस्टर जारी किए। एक पोस्टर का कैप्शन था, बंगाल जल रहा है, उसमें प्रोपर्टी के जलने की तस्वीर थी। दूसरे फोटो में एक महीला की साड़ी खींची जा रही है और कैप्शन है बंगाल में हिन्दु महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है। बहुत जल्दी ही इस फोटो का सच सामने आ गया। पहली तस्वीर 2002 के गुजरात दंगों की थी, जब मुख्यमंत्री मोदी ही सरकार में थे। दूसरी तस्वीर भोजपुरी सिनेमा के एक सीन की थी। सिर्फ आरएसएस ही नहीं बीजेपी के केंद्रीय मंत्री भी ऐसे फेक न्यूज़ फैलाने में माहिर हैं। उदाहरण के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने फोटो शेयर किया जिसमें कुछ लोग तिरंगे में आग लगा रहे थे। फोटो के कैप्शन पर लिखा था गणतंत्र दिवस पर हैदराबाद में तिरंगे को आग लगाई जा रही है। अभी गूगल इमेज सर्च में एक नया अप्लिकेशन आया है, जिसमें आप किसी भी तस्वीर को डालकर जान सकते हैं कि ये कहां और कब की है। प्रतीक सिन्हा ने यही काम किया और उस अप्लिकेशन के ज़रिये गडकरी के शेयर किए गए फोटो की सच्चाई उजागर कर दी। पता चला कि ये फोटो हैदराबाद का नहीं है। पाकिस्तान का है जहां एक प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन भारत के विरोध में तिरंगे को जला रहा है।

इसी तरह एक टीवी पैनल के डिस्कशन में बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सरहद पर सैनिकों को तिरंगा लहराने में कितनी मुश्किलें आती हैं, फिर जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों में तिरंगा लहराने में क्या समस्या है। यह सवाल पूछकर संबित ने एक तस्वीर दिखाई। बाद में पता चला कि यह एक मशहूर तस्वीर है, मगर इसमें भारतीय नहीं, अमरीकी सैनिक हैं। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमरीकी सैनिकों ने जब जापान के एक द्वीप पर कब्ज़ा किया तब उन्होंने अपना झंडा लहराया था। मगर फोटोशाप के जरिये संबित पात्रा लोगों को चकमा दे रहे थे। लेकिन ये उन्हें काफी भारी पड़ गया। ट्वीटर पर संबित पात्रा का लोगों ने काफी मजाक उड़ाया।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में एक तस्वीर साझा की और लिखा कि भारत 50,000 किलोमीटर रास्तों पर सरकार ने तीस लाख एलईडी बल्ब लगा दिए हैं। मगर जो तस्वीर उन्होंने लगाई वो फेक निकली। यह भारत की नहीं, 2009 में जापान की तस्वीर की थी। इसी गोयल ने पहले भी एक ट्वीट किया था कि कोयले की आपूर्ति में सरकार ने 25,900 करोड़ की बचत की है। उस ट्वीट की तस्वीर भी झूठी निकली।

छत्तीसगढ़ के पी डब्ल्यू डी मंत्री राजेश मूणत ने एक ब्रिज का फोटो शेयर किया और उसे अपनी सरकार की कामयाबी बताया। उस ट्वीट को 2000 लाइक मिले। बाद में पता चला कि वो तस्वीर छत्तीसगढ़ की नहीं, वियतनाम की है।

ऐसे फेक न्यूज़ फैलाने में हमारे कर्नाटक के आरएसएस और बीजेपी लीडर भी कुछ कम नहीं हैं। कर्नाटक के सांसद प्रताप सिम्हा ने एक रिपोर्ट शेयर किया, कहा कि ये टाइम्स आफ इंडिया में आया है। उसकी हेडलाइन ये थी कि हिन्दू लड़की की मुसलमान ने चाकू मारकर हत्या कर दी। दुनिया भर को नैतिकता का ज्ञान देने वाले प्रताप सिम्हा ने सच्चाई जानने की जरा भी कोशिश नहीं की। किसी भी अखबार ने इस न्यूज को नहीं छापा था, बल्कि फोटोशाप के जरिए किसी दूसरे न्यूज़ में हेडलाइन लगा दिया गया था और हिन्दू मुस्लिम रंग दिया गया। इसके लिए टाइम्स आफ इंडिया का नाम इस्तमाल किया गया। जब हंगामा हुआ कि ये तो फेक न्यूज़ है तो सांसद ने डिलिट कर दिया, मगर माफी नहीं मांगी। सांप्रदायिक झूठ फैलाने पर कोई पछतावा जाहिर नहीं किया।

जैसा कि मेरे दोस्त वासु ने इस बार के कॉलम में लिखा है कि- मैंने भी एक बिना समझे एक फेक न्यूज़ शेयर कर दिया। पिछले रविवार पटना की अपनी रैली की तस्वीर लालू यादव ने फोटोशाप करके साझा कर दी। थोड़ी देर में दोस्त शशिधर ने बताया कि ये फोटो फर्ज़ी है। नकली है। मैंने तुरंत हटाया और गलती भी मानी। यही नहीं फेक और असली तस्वीर दोनों को एक साथ ट्वीट किया। इस गलती के पीछे सांप्रदायिक रूप से भड़काने या प्रोपेगैंडा करने की मंशा नहीं थी। फासिस्टों के ख़िलाफ़ लोग जमा हो रहे थे, इसका संदेश देना ही मेरा मकसद था।

फाइनली, जो भी फेक न्यूज़ को एक्सपोज़ करते हैं, उनको सलाम । मेरी ख्वाहिश है कि उनकी संख्या और भी ज़्यादा हो।

एचएनपी सर्विस

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