ऊना। राजस्व विभाग द्वारा मनमाने ढंग से किए गए एक बंदोबस्त का खामियाजा ग्रामीणों को कई दशकों तक भुगतना पड़ा। ऊना जिले में
विभागीय सूत्रों के अनुसार इन गांवों में वर्ष 1988-89 में बंदोबस्त शुरू हुआ था। यह कार्य इस तरह मनमाने ढंग से निपटाया गया कि भूमि की वास्तविक स्थिति का कागजों से मिलान ही नहीं हो पा रहा था। परिणाम स्वरूप सैकड़ों परिवारों में झगड़े शुरू हो गए, लेकिन उनका निपटारा नहीं हो पा रहा था। गांवों के लोग हजारों रुपये खर्च करने के बाद कई वर्षों से न्याय के लिए भटके रहे थे। बंदोबस्त और इस्तेमाल के समय भूमि में अंतर होने के कारण उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था।
सरकार ने जिले के जिस कानूनगो और छह पटवार सर्किलों का बंदोबस्त रद किया है उनमें शिव नगर ऊना पटवार हलका, सलोह कानूनगो हलका (इसमें ईसपुर उप तहसील के छह गांव शामिल हैं), अंब का कटौहड़ कलां पटवार हलका, बटकलां पटवार हलका, कुठेड़ा खैरला पटवार हलका, लालसिंगी ऊना पटवार हलका व टक्का पटवार हलका शामिल हैं। इन गांवों के बंदोबस्त में सबसे अधिक त्रुटियां पाई गई हैं। लालसिंगी गांव का तो राजस्व रिकार्ड भी गड़बड़ बताया जा रहा था। पुराने इस्तेमाल के समय के दस्तावेजों में आंकड़े और बंदोबस्त में मौजूद आंकडे़ फील्ड बुक के मुताबिक मेल ही नहीं खा रहे थे। बताया जाता है कि जिले के अन्य और कई गांवों की भी यही स्थिति है। ग्रामीण जब बंदोबस्त के मुताबिक निशानदेही कराते हैं, तो ही उन्हें इस त्रुटि का पता चलता है। इसमें कई गड़बड़ियां तो 15- 20 साल बाद ही सामने आईं।
उपमंडल बंगाणा के अमजाड़, धुंदला, थानाकलां, स्कौन आदि पटवार सर्कलों में भी गलत बंदोबस्त का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय वासी किशोरी लाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने करीब बीस साल पहले बंदोबस्त की गलती को सुधारने के लिए आवेदन किया था। करीब 50 हजार रुपये खर्च होने के बाद भी उनकी समस्या हल नहीं हुई। जिले के जिन गांवों में सबसे अधिक त्रुटियां अथवा शिकायतें सामने आई हैं, उनके संबंध में राजस्व महकमे की रिपोर्ट के आधार पर बंदोबस्त को रद करने के फरमान जारी किए हैं।
भू- व्यवस्था ऊना के नायब तहसीलदार ने भी स्वीकार किया है कि कुछ गांवों में बंदोबस्त में त्रुटियां पाई गई हैं। सरकार के आदेश पर इन गांवों का बंदोबस्त रद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कई गांवों में नई तकनीक से बंदोबस्त किया जा रहा है। यह अत्याधुनिक तकनीक है। इसमें गलती की गुंजाइश बहुत कम रहेगी।