शिमला। हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर प्रदेश सरकार श्वेत पत्र लाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में यह जानकारी वीरवार को विधायक राजेंद्र राणा द्वारा नियम 130 के तहत प्रदेश में आर्थिक स्थिति पर लाए गए प्रस्ताव के उत्तर में दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय प्रदेश के हर नागरिक पर 92,833 रुपये का कर्ज है। प्रदेश की वित्तीय हालत यह है कि सरकार को विधायक क्षेत्र विकास निधि की अंतिम किस्त को भी रोकना पड़ा है। यदि प्रदेश सरकार पूर्व भाजपा सरकार की ओर से चुनावी वर्ष में खोले गए संस्थानों को चलाने का फैसला लेती तो इन्हें पूरी तरह खोलने में अगले चार साल लग जाते। ऐसा करने पर सरकार के पास एक माह बाद कर्मचारियों और अधिकारियों को वेतन देने के भी पैसे नहीं होते।
सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के बजट में केंद्र सरकार का एक भी अंश नहीं है। प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों की छठे वेतन आयोग की इस समय 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी लंबित है। इसके अलावा डीए की तीन किस्तें भी सरकार अभी तक नहीं दे पाई है।
उन्होंने कहा कि आने वाला समय प्रदेश के लिए आर्थिक रूप से और भी विकट होने वाला है, क्योंकि वर्ष 2025-26 में केंद्र से राजस्व घाटे के अनुदान के रूप में मिलने वाली राशि घटकर तीन हजार करोड़ रुपये रह जाएगी। 100 दिन के भीतर सरकार को 6000 करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ा है। पूर्व सरकार ने आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अपनी आय बढ़ाने के रास्ते निकाल रही है। वाटर सेस, एक्साइज पालिसी और बिजली प्रोजेक्टों से आय बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। अक्टूबर तक 40 मेगावाट सोलर ऊर्जा मिल जाएगी। इसके लिए निविदाएं खोल दी गई हैं। शराब के ठेकों की नीलामी से 40 प्रतिशत आय बढ़ी है। शांगटांग प्रोजेक्ट वर्ष 2025 में पूरा हो जाएगा। इससे भी सालाना 1000 हजार करोड़ रुपये की आय होगी।
इससे पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने प्रस्ताव पेश करते हुए प्रदेश की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई और इसे सुधारने के लिए कड़े कदम उठाने का सुझाव दिया। चर्चा में विधायक चंद्रशेखर, रणधीर शर्मा और भवानी सिंह पठानिया ने भी सुझाव दिए।