टिहरी गढ़वाल। जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय रानीचौंरी के वैज्ञानिकों ने लहसुन की नई
विवि के वैज्ञानिकों ने पहले इसे अपनी नर्सरी में तैयार किया और बाद में इसे आस-पास के गांवों में ग्रामीणों को वितरित किया। पिछले डेढ़ साल से इसे विवि परिसर में समीप ग्रामीणों के खेतों में भी प्रयोग किया जा रहा है और इसके अभी तक अच्छे परिणाम सामने आए हैं। माना जा रहा है कि किसानों के लिए यह किस्म अधिक लाभकारी साबित हो सकती है। अभी इसे चुनिंदा गांवों में प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन उत्तराखंड सरकार की प्रजाति विमोचन समिति से हरी झंडी मिलने के बाद बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन किया जाएगा।
वैज्ञानिकों ने इसका नमूना नेशनल जीन बैंक नई दिल्ली को भेजा है, जिसमें पाया गया है कि गठिया रोग के लिए यह नई प्रजाति अधिक उपयोगी साबित होगी। यदि सब कुछ ठीकठाक रहा तो लहसुन की यह नई किस्म बाजार में भी नजर आएगी। ग्रामीण भी इसको लेकर काफी उत्साहित हैं।
जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय रानीचौंरी के सब्जी विज्ञान विशेषज्ञ अखिलेश चंद्र मिश्रा न बताया कि लहसुन की इस नई प्रजाति को विवि की नर्सरी में तैयार करने के बाद आस-पास के कुछ गांवों में प्रयोग के रूप में उगाया जा रहा है। उन्होंन कहा कि यह नई प्रजाति जहां अधिक पैदावार देने वाली है, वहीं इसके कई औषधीय गुण हैं।