धर्मशाला। तिब्बत की निर्वासित सरकार के कामकाज का तरीका भारत जैसे देश के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण साबित हो सकता है। निर्वासित तिब्बत
मैकलोडगंज में निर्वासित सरकार के कार्यालयों में कामकाज के तरीकों को देख कर ही साफ झलक जाता है कि इन पर भारतीय तौर तरीकों की छाया नहीं पड़ने दी गई है। सभी अधिकारी एवं कर्मचारी घड़ी की सुइयों पर काम करते नजर आते हैं। प्रातः ठीक दस बजे कार्यालयों में कर्मचारी काम करना शुरू कर देते हैं तथा लंच समय होने के आखिरी मिनट तक काम करते नजर आते हैं। लंच ब्रेक होते ही काम बंद और फिर लंच ब्रेक समाप्त होने के पहले मिनट से ही काम शुरू। शायद इस उत्तम व्यवस्था का एक कारण यह भी है कि वहां अधिकांश प्रशासनिक अधिकारी अमरीका और इंग्लैंड जैसे देशों से शिक्षित एवं प्रशिक्षण प्राप्त हैं। धर्मशाला में लोग अकसर यह कहते सुनाई देते हैं कि प्रदेश सरकार को कुछ समय अपने अधिकारियों को निर्वासित सरकार के कार्यालयों में प्रशिक्षण के लिए अवश्य भेजना चाहिए।
मैकलोडगंज में 15वीं निर्वासित सरकार के छठे सत्र में स्पीकर पेंपा सीरिंग की अध्यक्षता में सांसदों ने प्रस्ताव कर घोषणा की कि केंद्रीय तिब्बतन प्रशासन में अभी तक एक भी भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया है। हालांकि, नेपाल और अरुणाचल प्रदेश में स्थित कार्यालयों में भ्रष्टाचार के दो मामलों की शिकायतें अवश्य आई थीं, लेकिन इनमें एक शिकायत केंद्रीय तिब्बतन प्रशासन के अंतर्गत नहीं थी तो दूसरे केस में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं होना सामने आया।
स्पीकर पेंपा सीरिंग ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आज जहां चहुंओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है, वहीं निर्वासित सरकार अपने प्रशासन को पूरी तरह भ्रष्टाचार मुक्त बनाए रखने में कामयाब रही है। यह वास्तव में ही तिब्बती समुदाय के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि तिब्बती प्रशासन अपनी बेहतरीन सेवाएं देने में सफल रहा है। इसके लिए संपूर्ण सरकार एवं प्रशासनिक अधिकारी बधाई के पात्र हैं।
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