हरिद्वार। विवादित संत राधे मां का जादू फिर चल निकला है। महामंडलेश्वर बनने के बावजूद प्रयाग कुंभ में स्नान नहीं कर पाईं राधे मां अब नासिक और उज्जैन
राधे मां को विगत वर्ष एक जुलाई की आधी रात को हरिद्वार के जूना अखाड़े में रातों-रात महामंडलेश्वर बना दिया गया था। स्वयं जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद महाराज ने उन्हें पदासीन किया था। राधे मां की इस ताजपोशी पर भारी मतभेद उत्पन्न हो जाने के कारण जूना अखाड़े के तत्कालीन महामंत्री ने सर्वसम्मति से उनका पद निलंबित करते हुए 11 सदस्यीय जांच समिति बैठा दी थी। इस बीच अखाड़ों के नए चुनाव प्रयाग में हुए तथा नई कार्यकारिणी की विगत दिनों काशी में हुई बैठक में जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट रखी।
महामंडलेश्वर मानी जाएंगी राधे मां: सर्वसम्मति से राधे मां को निर्दोष पाया गया और कार्यकारिणी ने समिति की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए राधे मां का निलबंन समाप्त कर दिया। राधे मां अब अखाड़े की तमाम गतिविधियों में भाग लेंगी और कुंभ के अगले शाही स्नान भी करेंगी। जूना अखाड़े के सर्वाधिकार प्राप्त राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा कि समिति ने सभी बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट दी है। राधे मां के विरूद्ध कुछ भी गलत नहीं पाया गया। परिणाम स्वरूप वे अब अन्य महामंडलेश्वरों की भांति अखाड़े की महामंडलेश्वर मानी जाएंगी।