देहरादून। पहाड़ीजन विकट परिस्थितियों में हमेशा से लोक आस्था का सहारा लेते रहे हैं। इससे जहां उन्हें आत्मिक शांति मिलती है, वहीं
पिथौरागढ़ तहसील के तहत उप्राड़ा का जंगल भी गत दिवस इसी प्रकार 10 वर्षों लिए न्याय की देवी कोटगाड़ी को चढ़ा दिया गया। तहसील मुख्यालय के निकटवर्ती उप्राड़ा का जंगल बांज और चीड़ के वृक्षों से आच्छादित है। इस जंगल में अवैध कटान जोरों पर है। ग्रामीणों ने कई बार अवैध कटान रोकने के लिए प्रयास किए, परंतु शासन-प्रशासन तंत्र के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। ग्रामीणों के सामने ही बांज और चीड़ के वृक्ष काटे जाते रहे। अंततः ग्रामीणों ने जंगल को बचाने के लिए आस्था का सहारा लेने का निर्णय लिया।
वन सरपंच की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जंगल को न्याय की देवी कोटगाड़ी को चढ़ाने का निर्णय लिया गया। बैठक में लिए गए निर्णय के तहत जंगल दस वर्षों के लिए देवी को चढ़ाया गया है। इस अवधि में जंगल में किसी तरह का पातन, कटान नहीं होगा। कहा गया कि जो कोई भी इसका उल्लंघन करेगा, उसे देवी दंड देगी। इस आशय के बोर्ड बना कर जंगल के चारों तरफ लगाने का भी निर्णय लिया गया। इसके बाद कागज तैयार कर गांव के सरपंच संजय पंत, पंच नित्यानंद पंत, गंगा सिंह और अन्य ग्रामीणों- मोहन चंद्र पंत, हरी राम, मनोज पंत, कुंदन सिंह, राम सिंह, गणेश सिंह, भगवती पंत, जीवंती देवी और रमेश राम ने पांखू कोटगाड़ी मंदिर जाकर बांड पेपर देवी को चढ़ा दिया।
उल्लेखनीय है कि पिथौरागढ़ जिले के दो दर्जन से अधिक जंगल पिछले कई वर्षों से देवी-देवताओं को अर्पित किए गए हैं। दिलचस्प बात है कि दैवीय प्रकोप के भय से अब इन जंगलों अवैध गतिविधियां पूरी तरह ठप हो चुकी हैं।