शिमला। आम आदमी पार्टी (आप) ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव लड़ने से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। इससे राज्य में जहां ‘आप’ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को गहरा धक्का लगा है, वहीं कांग्रेस और भाजपा ने राहत की सांस ली है। ऐसे में लगता है इस बार भी यहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के मध्य ही सीधी टक्कर होगी। मुकाबले को तिकोना बनाने के लिए शायद कोई बड़ी ताकत मैदान में नहीं होगी।
प्रदेश में कुछ ही माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसके लिए कांग्रेस और भाजपा ने तैयारियां जोरों से शुरू कर दी हैं, जबकि आम आदमी पार्टी के नेता हाईकमान के दिशा निर्देशों का इंतजार कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार कुछ नेताओं ने हाल ही में दिल्ली जा कर पार्टी नेतृत्व से चुनावी दिशा निर्देशों को लेकर बातचीत करनी चाही, लेकिन पार्टी प्रमुख केजरीवाल ने उन्हें दो टूक कह दिया कि- हिमाचल में पार्टी की स्थिति चुनाव लड़ने लायक नहीं है। इसलिए इस बार ‘आप’ वहां चुनाव नहीं लड़ेगी।
सूत्रों ने तो यहां तक खुलासा किया कि प्रदेश में ‘आप’ के पूर्व अध्यक्ष डा.राजन सुशांत, जिनके नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़े जाने की चर्चाएं थीं, को तो केंद्रीय नेताओं ने मिलने का समय तक नहीं दिया। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी अभी भी पंजाब, गोआ के विधानसभा चुनावों और दिल्ली नगर निगमों के चुनावों में मिली अप्रत्याशित पराजय से सदमे में है और किसी नए राज्य में चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही। पता चला है कि प्रदेश में ‘आप’ नेता अब योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण की पार्टी ‘स्वराज अभियान’ से जुड़ने का मन बना रहे हैं। कुछ लोगों को भाजपा और कांग्रेस में भी स्थान मिल सकता है।
आम आदमी पार्टी के सोलन जिला संयोजक संजय हिंदवान ने ‘आप’ के हिमाचल में चुनाव नहीं लड़ने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि करीब एक वर्ष पूर्व पार्टी ने प्रदेश में विस्तृत सर्वे कराया था, जिसमें पाया गया था कि राज्य की 28 प्रतिशत जनता बदलाव चाहती है तथा 13 प्रतिशत जनता आम आदमी पार्टी को समर्थन देना चाहती है। लेकिन अब पार्टी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया, जिससे कार्यकर्ताओं में भारी निराशा है।